सिवनी हवाला लूटकांड: एसडीओपी पूजा पांडे समेत 11 पुलिसकर्मियों पर डकैती-अपहरण का केस, पांच गिरफ्तार, सभी सस्पेंड

सिवनी। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में पुलिसकर्मियों द्वारा हवाला कारोबारियों से लगभग तीन करोड़ रुपये लूटने का सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने पूरे पुलिस महकमे को हिला कर रख दिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए तत्काल एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए, जिसके बाद एसडीओपी पूजा पांडे समेत 11 पुलिसकर्मियों के खिलाफ डकैती, अपहरण, अवैध हिरासत और आपराधिक षड्यंत्र की गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया। सभी आरोपी पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है, जबकि अब तक पांच को गिरफ्तार भी किया जा चुका है। जांच में खुलासा हुआ है कि इस पूरे गोरखधंधे की मुख्य साजिश एसडीओपी पूजा पांडे ने ही रची थी।
घटना की पूरी कालक्रम: चेकिंग से लूट तक का खेल

आरोप है कि पुलिस ने कार सवारों को रातभर थाने में बिठा कर रखा और सुबह बिना किसी कानूनी कार्रवाई के छोड़ दिया। जब्त रकम को जुआ-सट्टे की कमाई बताकर 10 अक्टूबर को कोतवाली थाने के मालखाने में जमा कर दिया गया। लेकिन असल में शेष 1.51 करोड़ रुपये पुलिसकर्मियों ने आपस में बांट लिए। सूत्रों के अनुसार, एसडीओपी पूजा पांडे ने हवाला कारोबारियों को पहले 'सौदा पटाने' का प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा, आधा पैसा तुम रखो, आधा हम। लेकिन कारोबारियों ने केवल 45 लाख रुपये देने पर सहमति जताई। 10 अक्टूबर को पांडे ने 1.51 करोड़ रुपये लौटाने का वादा किया, लेकिन रास्ते में गिनती करने पर 25 लाख रुपये कम निकले। इससे नाराज कारोबारियों ने 9 अक्टूबर को ही सिवनी कोतवाली थाने में 2.96 करोड़ की लूट की शिकायत दर्ज करा दी।
सोहन परमार ने अपनी शिकायत में विस्तार से बताया कि वह कटनी के एक सर्राफा व्यापारी के 2.96 करोड़ रुपये लेकर जालना जा रहे थे। रास्ते में एसडीओपी पूजा पांडे और टीआई अर्पित भैरम ने जांच के नाम पर नकदी से भरा बैग जब्त कर लिया। कार सवारों को थाने में घंटों हिरासत में रखा गया, लेकिन कोई केस दर्ज नहीं किया गया। जब उन्होंने अपने मालिक को सूचना दी, तो वह नागपुर से सिवनी पहुंचे। पुलिस ने केवल 1.45 करोड़ की जब्ती दिखाई, जबकि बाकी रकम अफसरों ने हड़प ली।
वरिष्ठ अधिकारियों को छिपाई गई जानकारी, मीडिया ने तोड़ा मामला
इस पूरी कार्रवाई की जानकारी एसपी सुनील कुमार मेहता या अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को सुबह तक नहीं दी गई। शाम तक कोई रिपोर्ट न आने पर मीडिया में खबर फैलने लगी। एएसपी दीपक मिश्रा ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू की और मामले की जानकारी जबलपुर रेंज के आईजी प्रमोद वर्मा को दी। देर रात आईजी वर्मा ने तत्काल नौ पुलिसकर्मियों के निलंबन के आदेश जारी कर दिए। अगले दिन डीजीपी कैलाश मकवाना ने एसडीओपी पूजा पांडे को भी निलंबित कर दिया। निलंबित पुलिसकर्मियों को पुलिस लाइन सिवनी अटैच कर दिया गया है, जहां उनकी उपस्थिति अनिवार्य है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मामले पर सख्ती दिखाते हुए कहा, कानून तोड़ने वाला चाहे कोई भी हो, बख्शा नहीं जाएगा। गृह विभाग ने विशेष जांच के आदेश दिए हैं। आईजी स्तर पर जांच दल गठित कर दिया गया है। डीजीपी मकवाना के निर्देश पर 14 अक्टूबर को एसडीओपी पूजा पांडे, उपनिरीक्षक अर्पित भैरम, आरक्षक योगेंद्र चौरसिया, नीरज राजपूत और जगदीश यादव सहित पांच पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर लिया गया। बाकी छह आरोपी फरार हैं, उनकी तलाश जारी है।
निलंबित और आरोपी पुलिसकर्मियों की सूची
इस मामले में कुल 11 पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज की गई है। इनमें एसडीओपी पूजा पांडे मुख्य आरोपी हैं। अन्य निलंबित पुलिसकर्मी इस प्रकार हैं। एसडीओपी पूजा पांडे। उपनिरीक्षक अर्पित भैरम, थाना प्रभारी बंडोल। प्रधान आरक्षक माखन, एसडीओपी कार्यालय सिवनी। प्रधान आरक्षक रविंद्र उइके, रीडर एसडीओपी कार्यालय सिवनी। आरक्षक जगदीश यादव, एसडीओपी कार्यालय सिवनी। आरक्षक योगेंद्र चौरसिया, एसडीओपी कार्यालय सिवनी। आरक्षक चालक रितेश, ड्राइवर एसडीओपी कार्यालय सिवनी। आरक्षक नीरज राजपूत, थाना बंडोल सिवनी। आरक्षक केदार, गनमैन एसडीओपी सिवनी तथा आठवीं वाहिनी विसबल छिंदवाड़ा। आरक्षक सदाफल, गनमैन एसडीओपी सिवनी तथा आठवीं वाहिनी विसबल छिंदवाड़ा। प्रधान आरक्षक राजेश जंघेला।
गंभीर धाराओं में केस, सियासी रंग भी ले रहा मामला
मामला लखनवाड़ा थाना क्षेत्र का है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 310(2) डकैती, 140(3) अपहरण, 61(2) आपराधिक षड्यंत्र के साथ संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम की धारा 112(2) तथा 3(5) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। यह घटनाक्रम सियासी और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर सुर्खियां बटोर रहा है। विपक्ष ने पुलिस महकमे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है। फिलहाल बची रकम का पता लगाने की जांच जारी है। सिवनी पुलिस की इस कार्रवाई ने वर्दी की गरिमा पर सवाल खड़े कर दिए हैं, और पूरे प्रदेश में पुलिस सुधार की मांग तेज हो गई है।