यह न्याय का मंदिर है 7-स्टार होटल नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट की नई इमारत पर CJI भूषण गवई की दो-टूक टिप्पणी से क्यों मचा चर्चा
Maharashtra News: मुंबई के बांद्रा (पूर्व) में नए बॉम्बे उच्च न्यायालय परिसर की आधारशिला रखते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) भूषण गवई ने साफ कहा कि नई इमारत किसी सात सितारा होटल जैसी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह न्याय का मंदिर है, जहां आम नागरिक न्याय की उम्मीद लेकर आते हैं, इसलिए इसमें दिखावटी वैभव या फिजूलखर्ची नहीं होनी चाहिए।
फिजूलखर्ची पर चिंता
वादियों की जरूरतों को प्राथमिकता देने की अपील
CJI ने कहा कि कोर्ट बिल्डिंग की प्लानिंग के दौरान अक्सर न्यायाधीशों की सुविधा पर ज्यादा ध्यान दे दिया जाता है, जबकि असल में यह भवन वादियों और आम नागरिकों के लिए होते हैं। उन्होंने दोहराया कि न्यायालय भवन को ‘न्याय का मंदिर’ समझकर बनाया जाए, न कि किसी महंगी और आलीशान संरचना की तरह।
सेवानिवृत्ति से पहले महाराष्ट्र की आखिरी यात्रा
CJI भूषण गवई 24 नवंबर 2025 को रिटायर होने वाले हैं। उन्होंने कहा कि यह उनकी महाराष्ट्र की आखिरी आधिकारिक यात्रा है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर वे पहले हिचकिचा रहे थे, लेकिन अब गर्व महसूस कर रहे हैं कि अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में वे देश की सर्वश्रेष्ठ न्यायिक इमारतों में से एक की आधारशिला रख रहे हैं।
पुराने बॉम्बे हाईकोर्ट का भी हुआ जिक्र
इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि दक्षिण मुंबई स्थित 1862 में बना ऐतिहासिक हाईकोर्ट भवन मात्र 16,000 रुपये में पूरा हुआ था और निर्माण के बाद 300 रुपये की बचत भी हुई थी। उन्होंने कहा कि नया परिसर उसी ऐतिहासिक विरासत का पूरक होगा।
नए परिसर को लोकतांत्रिक चरित्र देने की सलाह
देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उन्होंने इस परियोजना से जुड़े प्रसिद्ध वास्तुकार हफीज कॉन्ट्रैक्टर से अनुरोध किया है कि नई इमारत साम्राज्यवादी भव्यता की नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक सादगी की प्रतीक हो। उन्होंने कहा कि यह भवन न्यायपालिका की मर्यादा और जनता के प्रति उसकी जिम्मेदारी को दर्शाएगा।
