महाराष्ट्र की सत्ता में बढ़ता भूचाल: ‘गठबंधन धर्म’ बयान से महायुति में खामोशी के भीतर उठी बड़ी दरार
Maharashtra News: महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे द्वारा दिया गया ‘गठबंधन धर्म का पालन करें’ वाला बयान महायुति में उभर रही दरार को एक बार फिर सुर्खियों में ले आया है। शिवसेना, भाजपा और अजित पवार की एनसीपी के इस त्रिकोणीय गठबंधन में पिछले कई महीनों से तनाव की खबरें आती रही हैं, लेकिन इस बार शिंदे ने खुले मंच से दिए संकेतों ने सियासी हलचल तेज कर दी है।
शिंदे की बगावत से शुरू हुआ सफर
दल-बदल से टूटा अनौपचारिक समझौता
बीते हफ्तों में शिवसेना के कई कॉर्पोरेटर और स्थानीय नेता भाजपा में शामिल हुए। दोनों दलों के बीच यह अनौपचारिक समझौता था कि वे एक-दूसरे के नेताओं को नहीं तोड़ेंगे, लेकिन भाजपा में शामिलियों के बाद यह ‘जेंटलमैन एग्रीमेंट’ टूटता दिखा। परिणाम-गठबंधन में अविश्वास और असहजता खुलकर सतह पर आ गई।
मुंबई निकाय चुनाव से पहले फडणवीस-शिंदे की दूरी पर बढ़े सवाल
मुंबई निकाय चुनाव की तैयारियों के दौरान शिंदे और फडणवीस एक ही होटल में रुके, लेकिन मुलाकात नहीं हुई। यह बात राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई। फडणवीस ने सफाई दी कि “मीटिंग्स पहले से तय थीं”, लेकिन इससे अटकलें शांत नहीं हुईं।
शिंदे के ‘गठबंधन धर्म’ वाले बयान ने बढ़ाई राजनीतिक गर्मी
शिंदे ने कहा कि “हम गठबंधन धर्म का पालन कर रहे हैं और हमारे सहयोगी दलों को भी करना चाहिए।” यह बयान साफ संकेत देता है कि भाजपा के कदमों पर उन्हें आपत्ति है। उनके इस सार्वजनिक संदेश ने महायुति के अंदर मौजूद मनमुटाव को और उजागर कर दिया।
भाजपा में बिखराव’ वाली टिप्पणी ने बढ़ाई खींचतान
एनसीपी नेता माणिकराव कोकाटे ने दावा किया कि भाजपा अंदरूनी तौर पर बंटी हुई है और उसके अपने कार्यकर्ता हाशिये पर हैं। इस बयान ने गठबंधन की अंदरूनी राजनीति को और जटिल बना दिया। शिवसेना नेता उदय सामंत ने भी स्वीकार किया कि गठबंधन में सब ठीक नहीं है।
लोकल चुनाव बना सियासी शक्ति परीक्षण का मंच
मुंबई सहित कई निकायों में कल मतदान होना है। महायुति के भीतर बढ़ रहा तनाव वाकई चुनावी प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि गठबंधन के भीतर की खींचतान सीधे तौर पर वोटरों की धारणा और बूथ-स्तर के कमांड को प्रभावित कर सकती है।
