संसद सत्र: SIR पर चर्चा को तैयार केंद्र, 'वंदे मातरम्' पर 10 घंटे बहस संभव; पीएम ने कहा- सदन में डिलीवरी हो, ड्रामा नहीं
नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो गया। पहले ही दिन दोनों सदनों में SIR और चुनावी सुधारों को लेकर हंगामा देखने को मिला। विपक्ष ने इन मुद्दों पर बहस के लिए जोर दिया, जबकि सरकार ने इस पर चर्चा करने के लिए अपनी तत्परता जताई।
वंदे मातरम् पर लंबी बहस
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर सरकार सदन में इस विषय पर 10 घंटे तक चर्चा कराने पर विचार कर रही है। यह बहस गुरुवार या शुक्रवार को हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस बहस में हिस्सा ले सकते हैं।
इस चर्चा का प्रस्ताव 30 सितंबर को राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में सत्तारूढ़ दल के कई सदस्यों ने रखा था। हालांकि, अब तक इस पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है।
प्रधानमंत्री का संदेश
सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने संसद के बाहर मीडिया से 10 मिनट बात की। उन्होंने कहा कि संसद का सत्र "पराजय की हताशा या विजय के अहंकार का मैदान नहीं होना चाहिए। नई पीढ़ी के सदस्यों को अनुभव का लाभ मिलना चाहिए। यहाँ जोर नीति पर होना चाहिए, नारों पर नहीं।"
सत्र के दौरान प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में नए सभापति सी.पी. राधाकृष्णन का स्वागत किया। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पूर्व सभापति जगदीप धनखड़ को फेयरवेल न मिलने पर दुख जताया। इस पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पलटवार किया और कहा कि विपक्ष अपनी हार से परेशान है।
ASHA वर्कर्स का मुद्दा
कांग्रेस सांसद प्रियंका वाड्रा ने संसद में ASHA वर्कर्स के अधिकारों पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि ASHA वर्कर्स ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा की रीढ़ हैं, लेकिन उन्हें स्थायी कर्मचारी का दर्जा और सोशल सिक्योरिटी अभी तक नहीं मिली है। वाड्रा ने कहा, "ये फ्रंटलाइन वर्कर हफ्ते में 40 घंटे से ज्यादा समाज की सेवा करती हैं। सरकार को उन्हें उचित सम्मान और पहचान देनी चाहिए।"
उन्होंने केंद्र से अपील की कि ASHA वर्कर्स को फॉर्मल एम्प्लॉई के रूप में मान्यता मिले और उन्हें उनका हकदार待遇 दिया जाए।
सत्र की शुरुआत ही महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों से हुई है। SIR और चुनावी सुधारों पर बहस, वंदे मातरम् पर लंबी चर्चा और ASHA वर्कर्स के अधिकारों को लेकर उठाए गए सवाल इस बात का संकेत हैं कि संसद इस सत्र में गंभीर और व्यावहारिक मुद्दों पर ध्यान देगी।
