कांग्रेस की ‘वोट चोर, गद्दी छोड़’ महारैली ने बढ़ाई हरियाणा नेताओं की धड़कनें-जिलाध्यक्षों को 14 दिसंबर तक हजारों कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटाने का बड़ा मिशन
Haryana news: कांग्रेस की दिल्ली में होने वाली ‘वोट चोर, गद्दी छोड़’ थीम वाली महारैली हरियाणा कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है। रैली में भीड़ लाने की मुख्य जिम्मेदारी जिलाध्यक्षों को दी गई है, जिन्हें हर जिले से कम से कम एक हजार कार्यकर्ता जुटाने का लक्ष्य सौंपा गया है। इस कार्य को पूरा करने में कई जिलाध्यक्षों को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है।
4 दिसंबर को गुरुग्राम में बुलाई गई अहम समीक्षा बैठक
दक्षिण हरियाणा के सात जिलों पर सबसे बड़ा दबाव
गुरुग्राम, सोनीपत, रेवाड़ी, नूंह, पलवल, फरीदाबाद और महेंद्रगढ़-इन सात जिलों के जिलाध्यक्षों को विशेष रूप से एक-एक हजार कार्यकर्ता रैली में लाने का टास्क मिला है। जिन जिलों में ग्रामीण और शहरी दोनों इकाइयाँ हैं, वहां से दो हजार कार्यकर्ता लाने का आदेश दिया गया है।
भाजपा सरकार में पुराने कार्यकर्ताओं को खोजना पड़ा मुश्किल
कई जिलाध्यक्षों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि भाजपा सरकार के दौर में कांग्रेस के पुराने और निष्ठावान कार्यकर्ता या तो राजनीति से दूर हो गए या फिर दूसरी पार्टियों में शामिल हो गए। अब रैली में भीड़ जुटाने के लिए ऐसे कार्यकर्ताओं को दोबारा खोजना कठिन होता जा रहा है।
दिग्गज नेताओं की कम सक्रियता भी बनी चिंता का कारण
दक्षिण हरियाणा के दो प्रमुख चेहरे-पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव और राव दान सिंह-पहले की तुलना में सक्रिय नहीं दिखाई दे रहे हैं। इससे जिले में कार्यकर्ताओं का मनोबल और संगठनात्मक मजबूती दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
कौन-कौन होगा बैठक में शामिल, इस पर भी निगाहें टिकीं
हाल ही में दिल्ली मुख्यालय में बुलाई गई बैठक में कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला अनुपस्थित रहे थे। ऐसे में 4 दिसंबर को गुरुग्राम बैठक में उनकी उपस्थिति पर भी सभी की नजरें टिकी हुई हैं।
बैठक के आयोजकों का दावा-तैयारियां जोर-शोर से जारी
गुरुग्राम (ग्रामीण) कांग्रेस जिलाध्यक्ष वर्धन यादव ने कहा कि बैठक में सभी आमंत्रित नेता आएंगे और रैली की तैयारियों की समीक्षा सुचारू रूप से की जाएगी। उनका कहना है कि कार्य पहले से ही चल रहा है और आगामी मार्गदर्शन से इसे और प्रभावी बनाया जाएगा।
