सास ने बहू पर लगाया जबरन वसूली का आरोप, अदालत ने दर्ज कराया केस - राजस्थान की अदालत का बड़ा फैसला
Rajasthan News: राजस्थान में रिश्तों के सबसे जटिल रूप — सास और बहू के बीच का विवाद — अब न्यायालय तक पहुंच गया है। चित्तौड़गढ़ जिले के निम्बाहेड़ा स्थित एक स्थानीय अदालत ने बहू के खिलाफ जबरन वसूली और आपराधिक विश्वासघात का मामला दर्ज करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह आदेश तब पारित किया जब सास ने आरोप लगाया कि उसकी बहू ने धमकाकर पैतृक गहने और स्त्रीधन हड़प लिए।
वृद्ध सास ने बहू के खिलाफ दायर की याचिका
अदालत ने पाया प्रथम दृष्टया अपराध का आधार
निम्बाहेड़ा अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान गवाहों और वीडियो साक्ष्यों की गहराई से जांच की। न्यायालय ने पाया कि आरोपों में प्रथम दृष्टया साक्ष्य मौजूद हैं जो भारतीय न्याय संहिता की धारा 384 (जबरन वसूली) और धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत आपराधिक संज्ञान लेने योग्य हैं। इस आधार पर अदालत ने कोतवाली थाना पुलिस को एफआईआर दर्ज करने और निष्पक्ष जांच के आदेश दिए।
पहली एफआईआर रिपोर्ट पर भी जताई असहमति
यह मामला पहले से दर्ज एफआईआर संख्या 458/2020 से जुड़ा हुआ था, जिसके आधार पर पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की थी। लेकिन अदालत ने रिपोर्ट का विश्लेषण करने के बाद पाया कि जांच अधूरी है और उसमें कई महत्वपूर्ण तथ्य छूट गए हैं। इसीलिए अदालत ने नवीन प्राथमिकी दर्ज कर जांच पुनः आरंभ करने के निर्देश दिए।
कानूनी विशेषज्ञों ने बताया असाधारण फैसला
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह निर्णय बहुत दुर्लभ और ऐतिहासिक है, क्योंकि आमतौर पर सास द्वारा बहू के खिलाफ ऐसे आपराधिक आरोप दर्ज कराना असामान्य होता है। यह मामला इस बात का उदाहरण है कि कानून रिश्तों या लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं करता। अदालत ने स्पष्ट किया कि वैवाहिक विवादों में भी अगर कोई पक्ष पीड़ित है, तो उसकी सुरक्षा और न्याय सर्वोपरि रहेंगे।
सामाजिक दृष्टिकोण से उठे नए सवाल
इस निर्णय ने समाज में एक नई बहस को जन्म दिया है - क्या वैवाहिक रिश्तों में आर्थिक और भावनात्मक उत्पीड़न के मामले केवल एकतरफा होते हैं, या दोनों पक्षों में जवाबदेही समान रूप से बनती है? न्यायालय के इस कदम ने यह स्पष्ट कर दिया कि ‘पीड़ित कोई भी हो सकता है’, और न्याय सबके लिए समान है।
