Uttarakhand News: बदलते मौसम के कारण गला दर्द, छींक, नाक बहना और बुखार जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। खासकर बच्चे और बुजुर्ग इनसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि हाल के दिनों में वायरल संक्रमण के मामलों में तेजी आई है। तापमान में उतार-चढ़ाव वायरस के लिए अनुकूल वातावरण बनाता है, जिससे एलर्जी और सांस संबंधी बीमारियां पनपती हैं।
अस्पतालों में बढ़ रही वायरल मरीजों की संख्या
जिला चिकित्सालय में वायरल संक्रमण के मरीजों की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है। डॉ. प्रवीण पंवार के अनुसार, "अस्पताल में इन दिनों गला दर्द, इंफेक्शन और सांस की तकलीफ से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ी है।" उनका कहना है कि तापमान में लगातार हो रहे बदलाव से वायरस के अलग-अलग समूह सक्रिय हो जाते हैं, जो मौसम परिवर्तन के साथ स्वास्थ्य पर हमला करते हैं।
बच्चों और बुजुर्गों पर खतरा ज्यादा
सुबह गर्मी और शाम में अचानक ठंडक के कारण शरीर को अनुकूलन का समय नहीं मिल पाता। परिणामस्वरूप, पाचन और श्वसन संबंधी परेशानियां तेजी से बढ़ती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों और बुजुर्गों को ठंड से बचाना बेहद जरूरी है क्योंकि उनकी इम्यूनिटी अपेक्षाकृत कमजोर होती है। इस समय गला दर्द, खांसी, नाक बहना और खुजली जैसी समस्याएं बार-बार लौट रही हैं।
- बच्चों और बुजुर्गों को ठंड से बचाएं और गुनगुना पानी पिलाएं।
- शुगर और श्वास संबंधी मरीज विशेष सतर्क रहें।
- बाहर का खाना और गंदगी वाले इलाकों से दूरी बनाए रखें।
- वायरल लक्षण दिखें तो डॉक्टर से सलाह लेकर ही दवा लें।
- डायटीशियन की सलाह: पेट को रखें हल्का, भोजन को रखें ताजा
- संतुलित आहार से मजबूत बनेगा शरीर का सुरक्षा कवच
- मौसम बदलते समय खानपान पर ध्यान देना सबसे ज्यादा जरूरी है। उन्होंने कहा:
- ताजा, गर्म और सुपाच्य भोजन करें।
- तरल पदार्थ जैसे सूप, छाछ और नींबू पानी का सेवन बढ़ाएं।
- तला-भुना और भारी खाना अवॉयड करें, क्योंकि यह कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर बढ़ाता है।
- दूध में हल्दी, आंवला और संतरा इम्यूनिटी को मजबूत बनाते हैं।
- बासी और अधिक देर तक रखे फलों से परहेज करें।
- छोटी सावधानियाँ, बड़ी सुरक्षा
- मौसमी बीमारियों से बचाव में दिनचर्या और खानपान रखेगा आपको फिट
विशेषज्ञों का मानना है कि इस मौसम में शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर पड़ जाती है। ऐसे में पर्याप्त नींद, पोषक आहार और हाइड्रेट रहने से बीमारियों से बड़े पैमाने पर बचाव किया जा सकता है। सुबह की धूप लेना, हल्का व्यायाम करना और संक्रामक स्थानों से बचना बेहद प्रभावी उपाय हैं।