धर्म का वास्तविक उद्देश्य: आत्मा की आंतरिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति
 
                 
              
                संसार में जितने भी धर्म और सम्प्रदाय हैं, उनमें से प्रत्येक में कुछ न कुछ श्रेष्ठताएँ अवश्य हैं। ये वे सिद्धांत हैं जो सभी के लिए स्वीकार्य हो सकते हैं। इसलिए निष्पक्ष दृष्टि अपनाकर उन्हीं मार्गों का पालन करना चाहिए जो जीवन में संतोष और शान्ति प्रदान करें।
व्यक्ति का धर्म और आस्थाएँ भिन्न हो सकती हैं, परंतु प्रत्येक की आत्मा समान है। इसलिए, दूसरों के धर्म और मान्यताओं का सम्मान करना और उनसे सीखना आवश्यक है।
आत्मा हमारे अंदर बैठी परमात्मा की प्रतिनिधि है। यही हमें प्रतिक्षण मार्गदर्शन देती है। आत्मा के निर्देशों के अनुसार कार्य करना धर्म है, और उसके विपरीत करना अधर्म माना जाता है।
धार्मिक होने का असली अर्थ बाहरी कर्मकांड या दिखावे में नहीं, बल्कि अपनी आत्मा से उठने वाले ईश्वरीय संदेश को समझना और उसके अनुरूप जीवन जीना है। यही धर्म का सार और जीवन की सच्ची शान्ति का मार्ग है।

 
             
                 
                            
                         
                            
                         
                            
                         
                            
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