सर्दियों में बार-बार चाय पीने से बढ़ सकती है परेशानी, आयुर्वेद से जानें कारण और उपाय
🌿 आयुर्वेद क्या कहता है बार-बार चाय पीने पर?
आयुर्वेद के विशेषज्ञ मानते हैं कि चाय की प्रकृति रुक्ष (सूखी) और उष्ण (गर्म) होती है, और यह शरीर में वात और पित्त दोष को बढ़ाती है।
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वात दोष में वृद्धि: चाय में मौजूद टैनिन (Tannins) और कैफीन शरीर में रूखापन (Dryness) बढ़ाते हैं, जिससे वात दोष उत्तेजित होता है। इससे गैस, कब्ज, पेट फूलना (Bloating) और घबराहट जैसी पाचन संबंधी समस्याएँ बढ़ सकती हैं।
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पाचन अग्नि में बाधा: खाली पेट चाय पीने से जठराग्नि (पाचन की अग्नि) बाधित होती है, जिससे एसिडिटी (Acidity) और सीने में जलन (Heartburn) की समस्या गंभीर हो सकती है।
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निर्जलीकरण (Dehydration): चाय एक मूत्रवर्धक (Diuretic) है। सर्दियों में वैसे ही प्यास कम लगती है; ऐसे में चाय का अधिक सेवन शरीर से तरल पदार्थों को बाहर निकालता है, जिससे निर्जलीकरण और रूखेपन की समस्या बढ़ती है।
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नींद की गुणवत्ता: कैफीन के कारण बार-बार चाय पीने से आपकी नींद का चक्र (Sleep Cycle) बाधित होता है, जिससे अनिद्रा (Insomnia) और चिड़चिड़ापन बढ़ सकता है।
✅ सर्दियों में चाय पीने के आयुर्वेदिक उपाय और विकल्प
आयुर्वेद चाय छोड़ने के लिए नहीं, बल्कि उसे सही तरीके से पीने की सलाह देता है, या बेहतर विकल्पों को अपनाने को कहता है:
| उपाय (Ayurvedic Solution) | क्या करें और क्यों? |
| सही समय पर सेवन | चाय हमेशा नाश्ते या हल्के स्नैक के साथ ही लें। खाली पेट और रात के खाने के बाद चाय पीने से बचें। |
| दूध वाली चाय से बचें | चाय में दूध मिलाने से उसकी रूक्ष प्रकृति और दोष बढ़ जाते हैं। अगर पीना ही है तो कम दूध और हल्की मिठास का उपयोग करें। |
| हर्बल चाय/काढ़ा अपनाएँ | सामान्य चाय के बजाय अदरक, तुलसी, काली मिर्च, लौंग और दालचीनी से बना आयुर्वेदिक काढ़ा या हर्बल चाय पिएँ। यह शरीर को गर्माहट देगा और वात को शांत करेगा। |
| गर्म पानी और शहद | सुबह खाली पेट चाय के बजाय हल्का गुनगुना पानी और शहद/नींबू का सेवन करें। यह पाचन को दुरुस्त रखेगा। |
इन उपायों को अपनाकर आप सर्दियों में चाय का आनंद भी ले सकते हैं और अपने शरीर के आयुर्वेदिक संतुलन को भी बनाए रख सकते हैं।
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