हार्ट अटैक के बाद जीवन कैसा हो ?

-पवन कुमार कालिया
आजकल शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसने अपने घर में या आस पड़ोस में कोई हार्ट अटैक का रोगी
न देखा हो। हार्ट अटैक एक भयानक बीमारी है जो जानलेवा भी साबित हो सकती है।
अक्सर देखा जाता है कि एक बार हार्ट अटैक हो जाने के बाद रोगी बहुत घबरा जाते हैं। वे अपनी दिनचर्या
बहुत सीमित कर लेते हैं। हीन भावना से ग्रसित होकर जीवन में रूचि लेना बंद कर देते हैं और कई रोगी
तो अपने आप को पृथ्वी पर केवल बोझ ही समझते हैं।
कुछ ऐसे भी रोगी देखे जाते हैं जो बीमारी के प्रति लापरवाही बरतते हैं। इन रोगियों में दूसरी बार हार्ट
अटैक होने की संभावना बनी रहती है। ऐसी अवस्था में यह जानना आवश्यक है कि हार्ट अटैक के बाद
जीवन कैसा हो।
यदि ऐसा रोगी पहले से किसी कठिन परिश्रम वाले काम में कार्यरत हो तो बेहतर है कि वह अपना
व्यवसाय बदल ले। वैसे तीन महीने के बाद रोगी नौकरी पर जा सकता है। ये तीन महीने रोगी को घर पर
ही रहना चाहिए। इस समय में रोगी को साधारण दैनिक काम जैसे नहाना, धोना, दाढ़ी बनाना व कपड़े
बदलना सामान्य रूप से करते रहना चाहिये।
हार्ट अटैक के होने के एक महीना बाद रोजाना सुबह सैर करनी चाहिए। यह सैर समतल जमीन पर ही
करनी चाहिए जहां पर कोई चढ़ाई उतराई या सीढि़यां आदि न हों। सैर की दूरी धीरे-धीरे इस प्रकार बढ़ाएं
कि 2 महीने के बाद आप बिना थके आधा मील चल सकें। ढाई महीने के बाद आप 5-10 छोटी-छोटी
सीढि़यां दिन में एक बार चढ़ सकते हैं।
ऐसे रोगियों को अधिक सर्दी से बचना चाहिए। यदि सर्दी में बाहर निकलना जरूरी हो तो पर्याप्त गर्म कपड़े
डालकर बाहर निकलना चाहिए। ज्यादा ठण्डे या गर्म पानी से नहीं नहाना चाहिए। फ्रिज का ज्यादा ठण्डा
पानी नहीं पीना चाहिए। देर से पचने वाले पदार्थ नहीं खाने चाहिए। खाना पकाते समय घी की बजाय
सरसों के तेल का प्रयोग करना चाहिए।
बाजार की मिठाइयां, तले पदार्थ व चटपटी चीजें बिलकुल बंद कर देनी चाहिए। ऐसे लोगों के लिए
शाकाहारी भोजन बेहतर है। अण्डा यदि खाना ही है तो उसका पीला भाग नहीं खाना चाहिए। खाना सदा
भूख से कम खाना चाहिए। रात को खाना सोने से लगभग 2 घंटे पहले अवश्य खा लें।
सिगरेट या तम्बाकू का प्रयोग किसी भी रूप में न करें। यदि आप इनका प्रयोग जारी रखते हैं तो आप
स्वयं जल्दी ही अगले हार्ट अटैक को बुलावा दे रहे हैं।
डॉक्टर द्वारा दी गई दवाइयां नियमित रूप से लें और उसकी दी गई हिदायतों का पालन करें। इस सब के
साथ 6 महीने में एक बार अपनी पूरी शारीरिक जांच करवाना न भूलें। (स्वास्थ्य दर्पण)
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