स्वस्थ तन-मन के लिए लें झपकी

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-उमेश कुमार साहू


झपकी लेने को सामान्यतः समय की बरबादी या एक व्यसन माना जाता है। कहीं-कहीं तो इसे शारीरिक या मानसिक रोग
का प्रतीक भी माना जाता है, परंतु ऐसा नहीं है। कार्य के अत्यधिक दबाव, पारी वाले कार्य के कारण या किसी अन्य
कारणवश यदि हमारी रात की नींद अधूरी रह गई हो तो उसे हम झपकी लेकर दिन के समय पूरा कर सकते हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि झपकी द्वारा हम जीवन को अधिक स्वस्थ, स्फूर्त एवं सफल बना सकते हैं। इसकी अपनी
उपयोगिता के साथ-साथ यह विज्ञानसम्मत भी है। मस्तिष्कीय तरंगों पर शोध कर रहे वैज्ञानिकों के अनुसार मनुष्य को पूरे
दिन में दो बार सोने की प्राकृतिक आवश्यकता है, एक रात्रि में कई घंटे तक लंबी नींद की आवश्यक जरूरत और दूसरी
दोपहर के समय कुछ समय के लिए सोने की कम जरूरत।
यही कारण है कि रात की सामान्य नींद लेते हुए भी हम दोपहर को उनींदे से महसूस करते हैं और अर्द्धजडि़त से हो जाते
हैं। हमारे कार्य करने की क्षमता घट जाती है। इसी समय विभिन्न कार्यों में सर्वाधिक चूक देखी जाती है। विशेषकर सड़क
दुर्घटनाएं इसी समय सर्वाधिक घटित होती हैं।
दोपहर की नींद की कम आवश्यक जरूरत को हम झपकी द्वारा पूरा कर सकते हैं। इससे हमारी शारीरिक थकान तो दूर हो
जाती है, साथ ही मानसिक क्षमता में भी वृद्धि हो जाती है। झपकी हमारे मूड में भी आशाजनक सुधार लाती है। इससे
मिलने वाली ताजगी हमारे संबंधों को अधिक मधुर एवं सफल बनाती है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार झपकी लेने वाले झपकी
न लेने वालों की अपेक्षा अधिक स्मरण शक्ति वाले होते हैं, साथ ही अधिक प्रसन्न भी नजर आते हैं।
झपकी अनिद्रा रोग का एक महत्त्वपूर्ण निदान है। म्यूनिच के मनोवैज्ञानिक डॉ. जर्गन जूली के अनुसार झपकी द्वारा लिए
गए नींद के हल्के डोज हमारे अनिद्रा रोग को बहुत कुछ ठीक कर सकते हैं। उनके अनुसार हमें प्राकृतिक ऊंघाई के क्षणों
से कॉफी-चाय या व्यायाम द्वारा नहीं जूझना चाहिए। कुर्सी पर बैठे-बैठे पीठ के सहारे एक छोटी सी झपकी बेहतर है लेकिन

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बहुत छोटी झपकी अधिक सहायक नहीं होती।
झपकी कब लें, इसके संदर्भ में विशेषज्ञों की राय जानना आवश्यक है। विशेषज्ञों के अनुसार झपकी तब ली जाए जब इसकी
आवश्यकता सर्वाधिक महसूस की जाए। झपकी के कई लाभों के साथ इसमें कुछ कमियां भी हैं जिनके प्रति ध्यान देना
जरूरी है।
अधिकांश लोग जागने पर भी एक नशे में रहते हैं। नींद विशेषज्ञ इसे निद्रा जड़त्व कहते हैं। अतः यदि हमें अचानक उठकर
किसी जटिल मशीन या यांत्रिक क्रिया को संचालित करना हो तो उससे पूर्व झपकी लेना खतरनाक सिद्ध हो सकता है अतः
काम के समय यदि हम उनींदे महसूस कर रहें हों, तो झपकी ले सकते हैं लेकिन इसके बाद 10-15 मिनट तक इंतजार
कर ’निद्रा जड़त्व‘ समाप्त होने पर कार्य प्रारंभ कर सकते हैं।
दूसरा, झपकी गहन नींद की आवश्यकता को भी कम कर देती है, अतः अनिद्रा रोगी के लिए रात में सोने की समस्या को
और जटिल कर सकती है।
इस तरह की त्रुटियों को भी ध्यान में रखते हुए हम अपनी सुविधानुसार झपकी लेकर नींद व थकान को पूरा कर सकते हैं
और शारीरिक स्वास्थ्य एवं मानसिक स्फूर्ति के साथ जीवन को अधिक सफलतापूर्वक एवं आनंद के साथ जी सकते हैं।
(स्वास्थ्य दर्पण)

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