भारत की नई बैडमिंटन क्वीन: 18 वर्षीय श्रेयांशी वालीशेट्टी ने जीता पहला बीडब्ल्यूएफ सुपर 100 खिताब, तस्नीम मीर को हराया

Shreyanshi Valisetti: भारत की युवा बैडमिंटन खिलाड़ी श्रेयांशी वालीशेट्टी ने अल ऐन मास्टर्स में इतिहास रच दिया है। रविवार को खेले गए रोमांचक फाइनल में 18 वर्षीय श्रेयांशी ने हमवतन तस्नीम मीर को 15-21, 22-20, 21-7 से मात देकर अपने करियर का पहला बीडब्ल्यूएफ सुपर 100 खिताब जीता। पुलेला गोपीचंद अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली श्रेयांशी ने एक गेम से पीछे रहने के बाद शानदार वापसी की और धैर्यपूर्ण प्रदर्शन के दम पर सिर्फ 49 मिनट में प्रतिस्पर्धा अपने नाम कर ली।
कड़ी चुनौती के बाद दिखाया संयम और आत्मविश्वास
हरिहरन-अर्जुन की जोड़ी ने भी उड़ाया तिरंगा
महिला एकल में श्रेयांशी की जीत के अलावा पुरुष युगल वर्ग में हरिहरन अम्साकरुनन और एम आर अर्जुन की जोड़ी ने भी भारत को गौरवान्वित किया। इस भारतीय जोड़ी ने फाइनल में इंडोनेशिया के रेमंड इंद्र और निकोलस जोआक्विन की जोड़ी को 21-17, 21-18 से हराकर सिर्फ 35 मिनट में खिताब पर कब्जा जमाया। यह जीत भारत के बैडमिंटन कैलेंडर के लिए ऐतिहासिक साबित हुई, जिसने एक दिन में दो अलग-अलग वर्गों में खिताब दिलाया।
श्रेयांशी ने साझा की अपने सफर की भावनाएं
मैच के बाद श्रेयांशी ने यूएई बैडमिंटन महासंघ से बातचीत में कहा, “आज का दिन कठिन था। मैंने धीमी शुरुआत की, लेकिन मुझे भरोसा था कि मैं जीत सकती हूं। मैं नर्वस नहीं थी, बस शांत रहने की कोशिश कर रही थी। कई बार बहुत ज्यादा उत्साहित होने से गलतियां हो जाती हैं, इसलिए इस बार मैंने मन को स्थिर रखा।” उन्होंने बताया कि वह 2013 से पुलेला गोपीचंद अकादमी में ट्रेनिंग ले रही हैं, जहां उन्होंने पीवी सिंधू जैसी सीनियर खिलाड़ियों को करीब से देखा है।
रैंकिंग सुधार और नए लक्ष्य की तैयारी
श्रेयांशी वालीशेट्टी ने कहा कि यह जीत उनके करियर की नई शुरुआत है। पिछले एक साल में वह कई फाइनल हार चुकी थीं, लेकिन इस बार धैर्य और अनुभव के बल पर उन्होंने अपनी हार के सिलसिले को रोका। अब उनका लक्ष्य वर्ल्ड रैंकिंग में सुधार करना है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम और ऊंचा करना है। 18 साल की उम्र में यह जीत संकेत देती है कि भारत को बैडमिंटन में एक नई स्टार मिल गई है, जो आने वाले वर्षों में पीवी सिंधू और सायना नेहवाल की तरह देश के लिए गौरव ला सकती है।