एसआईआर की समय-सीमा बढ़े, बैलेट पेपर वापस लाए जाएं: मायावती
लखनऊ। संसद में चुनाव सुधार पर जारी चर्चा के बीच बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी और जनहितकारी बनाने के लिए तीन महत्वपूर्ण सुधारों की मांग की है। पार्टी का कहना है कि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की वर्तमान समय-सीमा बेहद कम है, जिससे बीएलओ पर अत्यधिक दबाव पड़ रहा है और इससे वैध मतदाताओं, विशेषकर गरीब और प्रवासी मजदूरों, के नाम मतदाता सूची से छूटने का जोखिम बढ़ गया है।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार प्रत्याशी को अपने आपराधिक इतिहास का पूरा विवरण हलफनामे और स्थानीय अखबारों में प्रकाशित करना होता है, जबकि पार्टी को भी वही जानकारी राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित करने की ज़िम्मेदारी दी गई है। उन्होंने कहा कि कई बार प्रत्याशी अपना आपराधिक इतिहास पार्टी से छुपा लेते हैं और यह जानकारी स्क्रूटनी के दौरान सामने आती है, जिससे अनावश्यक दायित्व पार्टी पर आ जाता है। पार्टी ने सुझाव दिया है कि आपराधिक मामलों के संबंध में सभी औपचारिकताओं की जिम्मेदारी सीधे प्रत्याशी पर ही डाली जानी चाहिए, न कि राजनीतिक दलों पर। अगर कोई प्रत्याशी अपने आपराधिक मामले छुपाता है, तो उससे जुड़ी सभी कानूनी जिम्मेदारियां भी उसी पर तय हों, पार्टी पर नहीं। ईवीएम को लेकर उठने वाले संदेहों पर भी बीएसपी मुखिया ने गंभीर सवाल उठाए।
उन्होंने कहा कि चुनाव प्रक्रिया में विश्वास बहाल करने के लिए अब ईवीएम की जगह फिर से बैलेट पेपर द्वारा मतदान कराया जाना चाहिए। यदि किसी कारणवश यह त्वरित रूप से संभव न हो, तो कम से कम हर बूथ पर वीवीपैट की सभी पर्चियों की गिनती कर उसे ईवीएम के आंकड़ों से मिलान किया जाना चाहिए। उन्होंने चुनाव आयोग के उस तर्क को भी खारिज किया कि इससे समय अधिक लगेगा। मायावती ने कहा कि जब पूरे चुनाव की प्रक्रिया महीनों चलती है, तो कुछ अतिरिक्त घंटे गिनती में लगने पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे जनता का चुनाव व्यवस्था पर भरोसा बढ़ेगा और चुनावी प्रक्रिया पर उठने वाले संदेहों का अंत होगा, जो देशहित में है।
