वामपंथी इतिहासकारों ने दलित और पिछड़े समाज के नेताओं की वीरता और बलिदान को किया दरकिनार: राजनाथ सिंह
लखनऊ। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वामपंथी इतिहासकारों ने अपनी सुविधानुसार इतिहास को लिखा, जिसमें दलित और पिछड़े समाज के नेताओं की वीरता और बलिदान को दरकिनार किया गया।
इन नायकों को न सिर्फ पढ़ाया जाना चाहिए था बल्कि उनको पूजा जाना चाहिए था। यह अत्यंत दुखद बात है कि इतिहासकारों ने पासी साम्राज्य पर कोई किताबें नहीं लिखीं। विद्वानों ने कभी इस वीर समुदाय के इतिहास पर रिसर्च नहीं की। पहले की सरकारों ने कभी भी पासी साम्राज्य के बारे में जानकारी एकत्र करने की कोशिश नहीं की। उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकारों ने भी पासी और दलित समाज के नायकों को उचित स्थान नहीं दिया। राजनाथ सिंह ने कहा कि एका आंदोलन में मदारी पासी का योगदान कौन ही भूल सकता है। मदारी पासी जी ने अन्याय के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूँका। जब किसानों पर बहुत अधिक लगान लगाया गया तो मदारी पासी जी 'किसानों के मसीहा' बनकर उभरे।
मैं मदारी पासी जी को भी अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। पासी समाज जैसे समुदाय, जिन्होंने अपने पराक्रम, त्याग और संघर्ष से आजादी के आंदोलन को मजबूती दी, उन्हें इतिहास में उचित स्थान नहीं दिया गया, जबकि वे भी इस महान यात्रा के समान रूप से भागीदार और नायक थे। परिणामस्वरूप, उन हाशिए पर रहे समुदायों के संघर्ष और बलिदान को नजरअंदाज कर दिया गया, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता में अमूल्य योगदान दिया। उन्होंने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को इस तरह प्रस्तुत किया गया मानो आज़ादी की लड़ाई केवल एक ही पार्टी और कुछ विशेष वर्गों या समुदायों ने लड़ी हो। इससे लोगों के मन में यह भ्रम पैदा हो गया कि स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व कुछ गिने-चुने लोगों ने किया था। रक्षा मंत्री ने कहा कि वह निःसंकोच कह सकता है कि भारत की आन-बान-शान की रक्षा के लिए भारत की हर बेटी ऊदा देवी बन सकती है।
उन्होंने कहा कि हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान महिला पायलटों और महिला सैनिकों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राजनाथ ने कहा कि ऊदा देवी जी ने अप्रतिम पराक्रम और अदम्य साहस से न सिर्फ अंग्रेजी सेना को धूल चटायी बल्कि राष्ट्र प्रेम का ऐसा मानक स्थापित किया है जो अनंत काल तक भारत के हर नागरिक को प्रेरित करता रहेगा। ऊदा देवी ने बता दिया था कि जब-जब भारत की ओर कोई आंख उठाकर देखेगा, तो भारत की हर बेटी भी उसका डटकर मुकाबला करेगी। उन्होंने कहा कि जब अंग्रेजों की एक बटालियन से लड़ते हुए ऊदा देवी शहीद हुईं, तब उनके मृत शरीर को देखकर ब्रिटिश अधिकारी भी उनके प्रति सम्मान में झुक गए थे। वीरांगना ऊदा देवी ने न केवल पासी समुदाय, बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित किया है। प्रत्येक भारतीय को उन पर अत्यंत गर्व है।
उन्होंने कहा कि ऊदा देवी जी की कहानी हमें आत्म-सम्मान सिखाती है। 1857 की क्रांति के इतिहास में ऊदा देवी पासी ने न केवल अंग्रेज़ी हुकूमत को चुनौती दी, बल्कि उस सामाजिक व्यवस्था को भी चुनौती दी जिसने उनके समाज को सदियों तक हाशिए पर रखा। रक्षा मंत्री ने कहा कि ऊदा देवी जी ने यह सिद्ध किया कि देशभक्ति और वीरता किसी जाति या वर्ग की सीमा में बंधी नहीं होती। लखनऊ की लड़ाई में उन्होंने दिखाया कि स्वतंत्रता की ज्वाला हर हृदय में प्रज्वलित हो सकती है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ऊदा देवी की कहानी ने आज़ादी की लड़ाई में महिलाओं की भूमिका को रोशन किया है। वे हमें याद दिलाती हैं कि यदि महिलाएं बंदूक का उपयोग कर सकती हैं, युद्ध में लड़ सकती हैं, और ब्रिटिश सैनिकों को मार सकती हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि उदा देवी को न केवल उनकी वीरता के लिए याद किया जाएगा, बल्कि एक ऐसी लीडर के रूप में भी याद किया जाएगा, जिन्होंने दलित समाज से आने वाली महिलाओं को ब्रिटिश शासन के खिलाफ हथियार उठाने के लिए संगठित किया। उनका बलिदान हमें यह सिखाता है कि सच्चा साहस वही है जो अन्याय, भेदभाव और दासता, तीनों के विरुद्ध डटकर खड़ा हो सके। उदा देवी का जीवन महिला सशक्तीकरण और समानता के अप्रतिम मूल्य का उदाहरण है। भारत की नारी शक्ति स्वदेश और स्वधर्म की रक्षा के लिए कभी भी किसी से पीछे नहीं रही है। आज सैनिक स्कूलों के दरवाजे लड़कियों के लिए खुले हैं। भारतीय महिलाएं सियाचिन की ऊंचाइयों से लेकर समंदर की गहराइयों तक देश की सुरक्षा चक्र को और भी मजबूत कर रही हैं।
