मेरठ में "सच जाने बिना प्रतिक्रिया न दें" - मुस्लिम युवाओं से मोहम्मद शहाब की अपील
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अक्सर किसी छोटे से तथ्य को तोड़-मरोड़ कर या अधूरी जानकारी के साथ इस तरह प्रस्तुत किया जाता है कि समाज में भ्रम, तनाव और विवाद उत्पन्न हो जाता है। यही कारण है कि प्रतिक्रिया देने से पहले सच्चाई को परखना बेहद ज़रूरी है। उन्होंने कानपुर की घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि मामला "आई लव मोहम्मद" लिखे एक बैनर से जुड़ा था। कुछ लोगों ने इसे धार्मिक रंग देने की कोशिश की, तो कईयों ने इसे राजनीतिक चश्मे से देखने की कोशिश की। सोशल मीडिया पर वीडियो और पोस्ट इस तरह वायरल हुए मानों इस बैनर के कारण पुलिस ने कार्रवाई की हो। स्वाभाविक था कि आम जनता में बेचैनी फैल गई और अनेक लोग बिना सच्चाई जाने प्रतिक्रिया देने लगे। जब वास्तविकता सामने आई तो पता चला कि सच बिल्कुल अलग था। उन्होंने धर्मगुरुओं और सामाजिक संगठनों से शुरुआत से संयमित और संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की बात कही।
उन्होंने कहा कि धार्मिक आस्था हर व्यक्ति के जीवन का एक गहरा हिस्सा होती है। जब भी कोई विवाद धर्म से जुड़ता है तो लोग भावनात्मक रूप से तुरंत प्रभावित होते हैं। यही कारण है कि अफवाहें और अधूरी जानकारी सबसे पहले धार्मिक प्रतीकों और नारों को निशाना बनाती हैं। "आई लव मोहम्मद" के बैनर के मामले में भी यही हुआ। श्रद्धा और मोहब्बत के भाव से लगाए गए इस बैनर को गलत ढंग से प्रस्तुत करके विवाद का कारण बना दिया गया। इससे यह शिक्षा मिलती है कि धर्म से जुड़े किसी भी विषय पर विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए।
आज के दौर में हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि किसी भी खबर पर प्रतिक्रिया देने से पहले उसकी सच्चाई को परखें। यदि कोई खबर सोशल मीडिया पर मिलती है तो उसका आधिकारिक स्रोत तलाशें, पुलिस और प्रशासन के बयानों पर ध्यान दें, धर्मगुरुओं और वरिष्ठ लोगों की अपील को सुनें और सबसे बढ़कर, खुद अफवाह फैलाने से बचें। यही एक जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य है।
उन्होंने कहा कि कानपुर की यह घटना हमें यही सिखाती है कि प्रतिक्रिया देने से पहले सच जानना आवश्यक है। "आई लव मोहम्मद लिखे बैनर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी, वास्तविक विवाद केवल पोस्टर फाड़ने का था। लेकिन अफवाहों और गलतफहमियों ने इसे जरूरत से ज्यादा बड़ा बना दिया। समाज का भला इसी में है कि हम अफवाहों से दूर रहें, धैर्य और समझदारी से काम लें और भाईचारे तथा शांति को प्राथमिकता दें। सच जानकर ही प्रतिक्रिया देना ही सच्चे नागरिक और जिम्मेदार इंसान का फ़र्ज़ है।