मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ – भौतिकी विभाग में दीक्षारंभ कार्यक्रम 2025 का आयोजन किया गया। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के भौतिकी विभाग में शैक्षणिक सत्र 2025–26 के बी.एससी. एवं एम.एससी. नवागंतुक छात्र-छात्राओं के लिए भव्य एवं प्रेरणादायी दीक्षारंभ (ओरिएंटेशन) कार्यक्रम का आयोजन डॉ. सी.वी. रमन सेमिनार हॉल में किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अनिल कुमार मलिक ने नवागंतुक छात्र-छात्राओं को विभाग के शिक्षकों से परिचित कराया तथा विभाग की शैक्षणिक उपलब्धियों, अनुसंधान परंपरा, अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं और विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु उपलब्ध सुविधाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला।
चीफ प्रॉक्टर एवं शोध निदेशक प्रोफेसर वीरपाल सिंह ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि छात्र जीवन में अनुशासन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यदि विद्यार्थी अनुशासित रहते हैं, तो वे अपने लक्ष्य को सरलता से प्राप्त कर सकते हैं। अनुशासन केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता की कुंजी है।
शोध के महत्व पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि छात्रों को केवल शोध करना ही नहीं बल्कि गुणवत्तापरक शोध करना चाहिए। गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान से जीवन में नए अनुभव प्राप्त होते हैं, नई तकनीकों का ज्ञान होता है और विद्यार्थी सामाजिक एवं वैश्विक चुनौतियों के समाधान में योगदान कर सकते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि आज के युग में शोध कार्य केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। प्रो. वीरपाल सिंह ने विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा, अनुसंधान और सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय विद्यार्थियों को केवल डिग्री देने का स्थान नहीं है, बल्कि यहाँ उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में तैयार किया जाता है।
इसके पश्चात विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार मलिक ने विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय की शैक्षणिक प्रणाली से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत विश्वविद्यालय में सेमेस्टर क्रेडिट प्रणाली लागू है। प्रत्येक विषय का मूल्यांकन आंतरिक (कक्षा परीक्षाएँ, असाइनमेंट, प्रायोगिक कार्य और प्रस्तुतीकरण) तथा सेमेस्टरांत परीक्षा – दोनों के आधार पर किया जाता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि निष्पक्ष परिणाम सुनिश्चित करने के लिए आंतरिक और बाह्य परीक्षाओं का समन्वय किया जाता है।
साथ ही उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि प्रत्येक सेमेस्टर में न्यूनतम 75% उपस्थिति अनिवार्य है; उपस्थिति मानक पूरा न करने वाले छात्रों को परीक्षा में सम्मिलित नहीं किया जाता।कार्यक्रम के अंतर्गत एम.एससी. और बी.एससी. के वरिष्ठ छात्र-छात्राओं ने नवागंतुक विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय परिसर का भ्रमण कराया। इस दौरान छात्रों ने केंद्रीय पुस्तकालय, खेल परिसर, पार्क, ऑडिटोरियम, कैंटीन, मंदिर एवं स्वास्थ्य केंद्र (डिस्पेंसरी) का अवलोकन किया। इसके बाद विद्यार्थियों ने विभागीय पुस्तकालय, कक्षाओं, शोध प्रयोगशालाओं एवं प्रायोगिक प्रयोगशालाओं का भी अवलोकन किया।