मेरठ रामलीला में लंका दहन का प्रचंड चित्रण, जय श्रीराम के उद्घोष से गूंज उठा मैदान
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मेरठ। श्री सनातन धर्म रक्षिणी सभा पंजीकृत मेरठ शहर के तत्वधान में श्री रामलीला कमेटी पंजीकृत मेरठ शहर द्वारा बुढ़ाना गेट स्थित जिमखाना मैदान में रामलीला का मंचन किया गया।
आज रामलीला मंचन में विभीषण-हनुमान मिलन, अशोक वाटिका का प्रसंग, रावण-हनुमान संवाद, विभीषण शरणागति और लंका दहन की लीला का जीवंत चित्रण किया गया। भक्तजन भावविभोर होकर जयघोष करते रहे।
हनुमान जी जब अशोक वाटिका में जाते हैं और विभीषण से भेंट होती है, तो उनके मधुर वचनों से विभीषण का हृदय रामभक्ति से भर उठता है।
“राम सुमिरि एक पल जो न करै।
सो जीवन धरि जग मा मरै॥”
अर्थ – जो मनुष्य राम का स्मरण नहीं करता, उसका जीवन व्यर्थ है।
माता सीता से भेंट कर हनुमान ने राम की मुद्रिका देकर उन्हें आश्वस्त किया।
“मिलि सिय सुभट हृदय उर लाई।
राम कथा कहि हृदय हरषाई॥”
अर्थ – हनुमान ने माता सीता को राम कथा सुनाकर उनके हृदय को प्रसन्न किया।
सभा में रावण और हनुमान का संवाद दर्शकों के लिए अत्यंत रोमांचक रहा।
रावण – "अरे वानर! तू मेरी नगरी में आकर उत्पात करता है? कौन है वह राम जिसकी अंगूठी लेकर आया है? मैं लंका का स्वामी हूँ।"
हनुमान – "लंकापति! श्रीराम स्वयं धर्म और मर्यादा के प्रतिरूप हैं। उनका नाम सुनकर ही समस्त दैत्य व असुर भयभीत हो जाते हैं। तेरी शक्ति और तेरा अहंकार उनके चरणों की धूल के समान भी नहीं।"
रावण – "वानर! मैं देवताओं को परास्त कर चुका हूँ। ब्रह्मा, इंद्र, वरुण सब मेरे चरणों में हैं। तेरे राम मेरा क्या कर लेंगे?"
हनुमान – "रावण! तू माता सीता को बंदी बनाकर पहले ही अक्षम्य अपराध कर चुका है। अब तेरे पापों का भार इतना बढ़ चुका है कि ब्रह्मांड की कोई शक्ति तुझे बचा नहीं सकती। श्रीराम के बाण तेरे अहंकार का अंत करेंगे।"
सभा में यह संवाद सुनकर पूरा मैदान गूंज उठा। हनुमान के निर्भीक वचन सुनकर भक्तों ने तालियों और जयघोष से वातावरण भर दिया।
“राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ विश्राम।
सुनि कपि बचन बिहसि दसकंधर, बोलइ कठोर बाम॥”
अर्थ – हनुमान कहते हैं कि मैं तो केवल राम कार्य के लिए आया हूँ, विश्राम का प्रश्न नहीं। यह सुनकर रावण हँसता है और कठोर वचन बोलता है।
सभा में विभीषण ने रावण को समझाया, पर जब उसने उनकी बात नहीं मानी तो विभीषण ने श्रीराम की शरण ली।
“रावन रचि बहुति उपाई।
विभीषण सुनि हृदय बसाई॥”
अर्थ – रावण ने अनेक उपाय किए, पर विभीषण ने श्रीराम की शरण ही सुरक्षित जानी।
हनुमान जी की पूँछ में बंधी अग्नि से जब लंका धधक उठी तो पूरा मैदान "जय श्रीराम – जय हनुमान" के नारों से थर्रा उठा। दर्शक रोमांचित होकर इस दृश्य का आनंद लेते रहे।
“लंका सगली सरीसि समाना।
बोलत राम नाम जसु गाना॥”
अर्थ – हनुमान की पूँछ से लगी आग में पूरी लंका जल उठी, और चारों ओर राम नाम का गान होने लगा।
अध्यक्ष मनोज गुप्ता ने बताया आगे जीमखाना मैदान बुढ़ाना गेट पर रावण अंगद संवाद , सेतु बन्ध, लक्ष्मण शक्ति ,हनुमान जी द्वारा संजीवनी बूटी लाना तथा कुंभकरण वध व कुंभकरण के विशाल पुतले के दहन का लीला मंचन होगा।