देसी चने की खेती: रबी सीजन की सबसे ज्यादा मांग वाली फसल, कम लागत में लाखों की कमाई का सुनहरा मौका

खेती किसानी की बात हो और उसमें देसी चने का जिक्र न आए ऐसा हो ही नहीं सकता। अक्टूबर का महीना किसानों के लिए बेहद खास होता है क्योंकि यही वह समय है जब रबी सीजन की फसलें बोई जाती हैं। इन्हीं फसलों में देसी चना सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। इसकी मांग सर्दियों के मौसम में तो बढ़ जाती है लेकिन सालभर बाजार में इसकी खरीदी होती है। यही वजह है कि चने की खेती किसानों के लिए फायदे का शानदार सौदा मानी जाती है।
कम लागत और ज्यादा मुनाफा
चने की खेती के लिए जमीन और तैयारी
देसी चने की अच्छी पैदावार के लिए हल्की दोमट से लेकर मटियार मिट्टी सबसे बेहतर मानी जाती है। खेत में पानी की निकासी का अच्छा प्रबंध होना बहुत जरूरी है वरना फसल को नुकसान हो सकता है। बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए और मिट्टी को भुरभुरा बनाने के बाद उसमें गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद डालना चाहिए। इससे मिट्टी के पोषक तत्व बढ़ जाते हैं और फसल की जड़ें मजबूत होती हैं।
बीज और बुवाई
किसान भाईयों को चने की बुवाई के लिए हमेशा अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों का इस्तेमाल करना चाहिए। बुवाई से पहले बीजों को उपचारित करना बेहद जरूरी है ताकि रोगों से बचाव हो सके। एक हेक्टेयर खेत में करीब 70 से 80 किलो बीज पर्याप्त होता है। सही समय पर बुवाई करने के बाद देसी चना लगभग 90 से 100 दिनों में पककर तैयार हो जाता है।
उत्पादन क्षमता और कमाई
अगर किसान सही किस्म का चुनाव करें और उन्नत खेती की तकनीक अपनाएं तो देसी चने की पैदावार जबरदस्त हो सकती है। एक हेक्टेयर खेत से औसतन 20 से 22 क्विंटल तक उपज मिल जाती है। यह फसल किसानों को लाखों रुपये तक की कमाई करा सकती है। खास बात यह है कि चना ऐसी फसल है जिसकी मांग बाजार में पूरे साल बनी रहती है। अगर किसान अच्छी पैदावार के साथ-साथ सही बाजार प्रबंधन करें तो उन्हें और भी ज्यादा मुनाफा हो सकता है।
दोस्तों देसी चना किसानों के लिए रबी सीजन की ऐसी फसल है जो मेहनत और देखभाल के साथ हमेशा अच्छा मुनाफा देती है। इसकी खेती से न केवल परिवार की जरूरतें पूरी होती हैं बल्कि किसानों को आर्थिक मजबूती भी मिलती है। इसलिए इस रबी सीजन में देसी चने की खेती करना आपके लिए बेहतरीन विकल्प साबित हो सकता है।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य कृषि ज्ञान पर आधारित है। खेती शुरू करने से पहले स्थानीय कृषि विशेषज्ञों या विभाग से सलाह लेना आवश्यक है ताकि आपके क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के अनुसार सही जानकारी प्राप्त हो सके।