कड़ाके की ठंड ने किसानों की उम्मीदें बढ़ाईं बर्फबारी और गिरते तापमान से इस बार गेहूं की फसल में बंपर पैदावार की संभावना जानिए वैज्ञानिकों की पूरी रिपोर्ट
उत्तर भारत सहित देश के कई इलाकों में पहाड़ों पर बर्फबारी का दौर जारी है और इसका सीधा असर मैदानी क्षेत्रों में भी देखने को मिल रहा है। तापमान लगातार नीचे जा रहा है और आम जनजीवन में ठिठुरन बढ़ती दिखाई दे रही है। हालांकि इस तेज ठंड के बीच किसानों के चेहरों पर एक अलग ही चमक है क्योंकि यह मौसम गेहूं की फसल के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि जितनी अधिक ठंड पड़ेगी उतनी ही बेहतर पैदावार की उम्मीद की जा सकती है। यही वजह है कि इस बार देश में गेहूं उत्पादन को लेकर काफी उत्साह है।
वैज्ञानिकों का अनुमान इस बार होगी गेहूं की बंपर पैदावार
ठंडी हवा बन रही है गेहूं की फसल के लिए संजीवनी
भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान केंद्र के निदेशक ज्ञानेंद्र सिंह के अनुसार आगामी दिनों में उत्तर पूर्व और मध्य भारत में बारिश की संभावना है और तापमान सामान्य से नीचे जा सकता है। यह परिस्थिति रबी फसलों खासकर गेहूं के लिए अत्यंत लाभकारी है। ठंडे मौसम में गेहूं की ग्रोथ बेहतर होती है और दाने भरने की प्रक्रिया भी मजबूत बनती है इसलिए किसान इस ठंड को फसल के लिए शुभ अवसर मान सकते हैं।
नाइट्रोजन और यूरिया का सही समय ताकि न घटे उत्पादन
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि नाइट्रोजन का प्रयोग यदि समय के अनुसार किया जाए तो फसल का विकास बेहद शानदार होता है। बुआई के लगभग चालीस से पैंतालीस दिन के भीतर नाइट्रोजन की खुराक पूरी कर देनी चाहिए। सिंचाई से ठीक पहले यूरिया डालने से इसका असर अच्छे से दिखाई देता है और पौधे मजबूत बनते हैं। जिन खेतों में संकरी और चौड़ी दोनों तरह की पत्ती वाले खरपतवार मौजूद हों वहां सल्फोसल्फ्यूरॉन या मेटासल्फ्यूरॉन को पानी में घोलकर उचित मात्रा में छिड़काव करने की सलाह दी जाती है ताकि फसल पर कोई असर न पड़े।
अगेती गेहूं को गिरने से बचाने के लिए जरूरी कदम
जो किसान अगेती किस्म की गेहूं बोते हैं उन्हें विकास नियामकों का जरूर उपयोग करना चाहिए। क्लोरमेक्वाट क्लोराइड और टेबुकोनाजोल का मिश्रण बनाकर दो बार स्प्रे करने से फसल गिरने की समस्या काफी हद तक नियंत्रित हो जाती है। यदि किसी कारण पहली स्प्रे नहीं हो पाई है तो किसान बुआई के लगभग सत्तर से अस्सी दिन बाद एक बार स्प्रे करके भी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं।
कीट नियंत्रण नहीं हुआ तो नुकसान बढ़ सकता है
कई बार गेहूं की फसल में छेदक जैसे कीटों का प्रकोप दिखाई देता है। संक्रमित कल्लों को हाथ से तोड़कर नष्ट करने से इसकी रोकथाम आसान हो जाती है। साथ ही नाइट्रोजन को विभाजित खुराक के रूप में देने से भी संक्रमण फैलने की आशंका कम होती है। यदि प्रकोप बहुत अधिक हो जाए तो क्विनालफॉस को पर्याप्त पानी में घोलकर छिड़काव करना प्रभावी उपाय माना जाता है।
किसान इस ठंड को अवसर बनाएं
ठंड का यह माहौल जहां आम लोगों के लिए असुविधाजनक हो सकता है वहीं किसानों के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं है। इस समय सही प्रबंधन और सावधानी अपनाने से गेहूं की पैदावार में उल्लेखनीय वृद्धि संभव है। मौसम वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों दोनों की राय है कि आने वाले सप्ताह फसलों के लिए अत्यंत शुभ रहने वाले हैं इसलिए किसान इस अवसर का पूरा लाभ उठाएं और अपनी फसल को बेहतर ढंग से तैयार करें।
