दुबई एशियन यूथ पैरा गेम्स में भारत के युवा पैरा शटलरों का जलवा, 8 स्वर्ण पदक जीते
नई दिल्ली। दुबई 2025 एशियन यूथ पैरा गेम्स में भारतीय युवा खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पैरा बैडमिंटन स्पर्धाओं में कुल 8 स्वर्ण पदक अपने नाम किए। भारतीय दल ने इस टूर्नामेंट में कुल 17 पदक (8 स्वर्ण, 3 रजत और 6 कांस्य) जीतकर देश का नाम रोशन किया।
भारत की इस ऐतिहासिक सफलता के केंद्र में रहे जतिन आज़ाद, जिनके संयमित और आत्मविश्वास से भरे खेल ने टीम की जीत की नींव रखी। आज़ाद ने SU5 वर्ग में दोहरा स्वर्ण जीता। पहले उन्होंने पुरुष एकल का खिताब अपने नाम किया और फिर शिवम यादव के साथ मिलकर पुरुष युगल में भी स्वर्ण पदक जीता। फाइनल के दबाव में भी दोनों की साझेदारी भरोसे और बेहतरीन तालमेल की मिसाल बनी रही।
अपनी जीत के बाद जतिन आज़ाद ने भविष्य पर नजर रखते हुए कहा, “मैं सभी चैंपियनशिप में खेलना चाहता हूं, ज्यादा अनुभव और एक्सपोज़र हासिल करना चाहता हूं। जितना ज्यादा एक्सपोज़र मिलेगा, उतना ही बेहतर प्रदर्शन करूंगा—और मुझे पूरा विश्वास है कि मेरा चयन LA28 पैरालंपिक्स के लिए होगा।”
भारतीय टीम की सफलता में मानसिक मजबूती की भी अहम भूमिका रही। एक अन्य स्वर्ण पदक विजेता हर्षित चौधरी ने टीम के सकारात्मक रवैये पर जोर देते हुए कहा, “मुझे बहुत अच्छा लग रहा है क्योंकि हम हर स्थिति के लिए तैयार थे। मैंने और मेरे पार्टनर ने पूरे मैच के दौरान सकारात्मक सोच बनाए रखी।”
खास बात यह रही कि दुबई 2025 सभी भारतीय पैरा बैडमिंटन खिलाड़ियों के लिए पहला एशियन यूथ पैरा गेम्स था, जिससे यह उपलब्धि और भी खास बन जाती है। पदकों से बढ़कर, यह टूर्नामेंट खिलाड़ियों के लिए सीख और अनुभव का अहम मंच साबित हुआ, जो उन्हें लॉस एंजेलिस 2028 पैरालंपिक खेलों की ओर मजबूती से आगे बढ़ने में मदद करेगा।
अब युवा पैरा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बन चुके जतिन आज़ाद ने सीधा और असरदार संदेश देते हुए कहा, “हर किसी में शुरुआत करने का साहस नहीं होता। लेकिन बस खेलिए, अपना सर्वश्रेष्ठ दीजिए, अच्छी ट्रेनिंग कीजिए—नतीजे जरूर मिलेंगे।”
फाइनल मुकाबलों में एशिया भर की उभरती प्रतिभा भी देखने को मिली। इंडोनेशिया के अफघानी अस सख़ा ने पुरुष एकल SL4 वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर सबका ध्यान खींचा। उन्होंने कड़े मुकाबले में भारतीय खिलाड़ियों को हराया।
अपनी जीत के बाद अफघानी ने कहा, “मैं आज नर्वस था, लेकिन मेरे कोच ने मुझे शांत किया और आत्मविश्वास दिया। भारत बहुत मजबूत और जुझारू टीम है—मुझे अब भी यकीन नहीं हो रहा कि मैं जीत गया।”
