उज्ज्वल राणा प्रकरण में कचहरी में हुआ प्रदर्शन, प्राचार्य की अग्रिम जमानत पर सुनवाई टली, अब 29 नवंबर को होगी सुनवाई , गिरफ्तारी का दबाव बढ़ा
मुजफ्फरनगर। डीएवी कॉलेज, बुढ़ाना के छात्र उज्ज्वल राणा के आत्मदाह प्रकरण ने कानूनी और सामाजिक हलकों में लगातार गरमाहट बनाए रखी है। फीस विवाद के कारण उत्पीड़न से आहत होकर 8 नवंबर को खुद को आग लगाने वाले उज्ज्वल की मौत (9 नवंबर, दिल्ली में) के बाद मुख्य आरोपी डीएवी डिग्री कॉलेज के प्राचार्य प्रदीप कुमार की अग्रिम जमानत अर्जी पर जिला एवं सत्र न्यायालय में शुक्रवार को सुनवाई हुई, जो अब 29 नवंबर तक के लिए टल गई है।
पीड़ित पक्ष के कड़े विरोध के बाद टली सुनवाई
प्राचार्य प्रदीप कुमार ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अदालत में दलील दी थी कि घटना की जानकारी मिलते ही उन्होंने सीओ बुढ़ाना को सूचना दी थी और पुलिस की लापरवाही के कारण उन्हें दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए।
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कड़ा विरोध: अग्रिम जमानत अर्जी की खबर मिलते ही उज्ज्वल की बहन और मुकदमे की वादी सलोनी राणा अपने चाचा सचिन राणा और अधिवक्ता अनूप राठी के साथ अदालत पहुँचीं। उन्होंने छात्र नेताओं और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर जमानत का पूरजोर विरोध किया।
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धाराएं छिपाने का आरोप: अधिवक्ता अनूप राठी ने न्यायालय को बताया कि प्राचार्य प्रदीप कुमार ने एफआईआर में लगाई गई गंभीर धाराओं को छिपाकर कानूनी राहत पाने का प्रयास किया है। उन्होंने पुलिस और अभियोजन की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए साठगांठ का भी आरोप लगाया।
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कोर्ट का निर्देश: कोर्ट ने परिजनों के भारी विरोध और अधिवक्ता की दलीलों के बाद पुलिस और अभियोजन से एफआईआर, धाराओं की जानकारी और विस्तृत जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। अब अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी।
पुलिस की साठगांठ पर गंभीर सवाल
मामले की धीमी जांच और मुख्य आरोपी (प्राचार्य प्रदीप कुमार और प्रबंधक अरविंद गर्ग) की गिरफ्तारी न होने से आक्रोश बढ़ रहा है। पुलिस ने एक आरोपी पीटीआई संजीव कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेजा है और उत्पीड़न में सहयोग करने के आरोपी तीन पुलिस कर्मियों को लाइन हाजिर किया है, लेकिन मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
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अभियोजन पर रोष: भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के प्रवक्ता धर्मेन्द्र मलिक ने अभियोजन पक्ष पर आरोपियों को कानूनी राहत देने के लिए समय देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अभियोजन का दायित्व था कि वह जमानत अर्जी का विरोध करता, लेकिन उसने रुचि नहीं दिखाई।
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शोक सभा में आक्रोश: धर्मेन्द्र मलिक ने चेतावनी दी कि 16 नवंबर को डीएवी कॉलेज बुढ़ाना के बाहर आयोजित होने वाली उज्ज्वल की शोक सभा में पुलिस और प्रशासन की लापरवाही को सार्वजनिक रूप से उठाया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि पुलिस का रवैया नहीं बदला तो बड़ा आंदोलन किया जा सकता है।
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बढ़ी गिरफ्तारी का दबाव: कानूनी जानकारों का मानना है कि अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई टलने और अदालत द्वारा रिपोर्ट मांगे जाने से पुलिस पर अब वारंट के आधार पर प्राचार्य और प्रबंधक को गिरफ्तार करने का दबाव बढ़ गया है।
सुनवाई के दौरान कचहरी परिसर में भारी जनसमूह मौजूद रहा, जिससे यह मामला राजनीतिक और कानूनी गलियारों में चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
उधर बुढ़ाना कस्बे के लोगो व डीएवी के छात्रों ने शुक्रवार शाम उज्जवल राणा को श्रद्धांजलि देते हुए कैंडिल मार्च निकाला। एडवोकेट शिवम निवेश के नेतृत्व में आयोजित कैंडल मार्च में नागरिकों छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। मार्च के दौरान पूरा

माहौल भावुकता से भरा रहा और सभी की आंखें नम हो गईं। कस्बे के दयानंद चौक से हाथों में जलती मोमबत्तियां थामे छात्र शांतिपूर्ण और अनुशासित ढंग से कस्बे के मुख्य मार्गों से गुजरे। मार्च का समापन योगपुरा मार्ग स्थित उज्जवल राणा के आवास पर पहुंचकर हुआ। जहां सभी ने दो मिनट का मौन रखा और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। इसके बाद छात्रों ने शोक संतप्त परिवार से मिलकर सांत्वना दी। इस दौरान मोनू मलिक, वसीम राणा, विशाल, अंकुश आदि मौजूद रहे।
