डिजिटल जनगणना 2027 में 'जैन' को अलग कॉलम न देना होगी 'ऐतिहासिक भूल': गौरव जैन
मुजफ्फरनगर: भारत सरकार द्वारा वर्ष 2027 में पहली बार पूर्णतः डिजिटल जनगणना कराए जाने के फैसले के मद्देनजर, जैन एकता मंच, राष्ट्रीय (रजि.) के युवा शाखा राष्ट्रीय अध्यक्ष और सपा नेता गौरव जैन ने एक महत्वपूर्ण मांग उठाई है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि यह जनगणना प्रक्रिया तभी सार्थक होगी, जब उसमें जैन धर्म को एक स्वतंत्र धार्मिक पहचान के रूप में एक अलग कॉलम प्रदान किया जाए।
जनसंख्या की सटीकता पर सवाल
गौरव जैन के अनुसार, जैन समाज को मिश्रित रूप से दर्शाने से उनकी वास्तविक जनसंख्या, सामाजिक ज़रूरतें, नीति-निर्माण, साथ ही सामाजिक-धार्मिक व राजनैतिक अधिकार भी प्रभावित हुए हैं। उन्होंने केंद्र सरकार को याद दिलाया कि संविधान द्वारा प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता और पहचान के अधिकार के अंतर्गत जैन धर्म को अलग कॉलम देना सरकार की जिम्मेदारी है।
सपा नेता ने सवाल किया, "डिजिटल जनगणना पारदर्शिता और सटीकता की बात करती है, तो फिर जैन समाज की सटीक गिनती से परहेज़ क्यों?"
संवैधानिक अधिकार और न्याय की मांग
उन्होंने यह भी कहा कि जैन समाज देश के आर्थिक, शैक्षणिक, सामाजिक और नैतिक विकास में सदैव अग्रणी रहा है। यदि जनगणना में सही आंकड़े दर्ज नहीं होंगे तो समाज से जुड़े योजनात्मक निर्णय न्यायसंगत नहीं हो पाएंगे।
गौरव जैन ने केंद्र सरकार से दृढ़ता से मांग की कि जनगणना 2027 के धर्म कॉलम में “जैन” को एक स्पष्ट, स्वतंत्र और पृथक विकल्प के रूप में शामिल किया जाए, ताकि भविष्य की पीढ़ियों के साथ कोई ऐतिहासिक अन्याय न हो। उन्होंने अंत में कहा कि यह मांग किसी से टकराव की नहीं, बल्कि संवैधानिक अधिकार, ऐतिहासिक सत्य और सामाजिक न्याय की है, और जैन समाज इस विषय पर एकजुट होकर शांतिपूर्ण लेकिन दृढ़ आवाज़ उठाता रहेगा।
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