दूसरे चरण में JDU की ‘नौ देवियों’ की बड़ी परीक्षा, दो महिला मंत्रियों और सात दावेदारों की प्रतिष्ठा दांव पर
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण में जदयू की नौ महिला उम्मीदवारों का राजनीतिक भविष्य तय होगा। इनमें दो मंत्री और सात अन्य महिला दावेदार शामिल हैं। ऐसे में जदयू के लिए यह चरण न सिर्फ चुनावी मुकाबले का, बल्कि महिला नेतृत्व की प्रभावशीलता मापने का भी अहम मोड़ बन गया है। पार्टी ने इन नौ महिला चेहरों पर दांव लगाकर अपनी राजनीतिक रणनीति में महिला सशक्तिकरण की साफ झलक दी है।
दो महिला मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर
तीन महिला विधायकों को सीट बचाने की चुनौती
जदयू की तीन महिला विधायक शालिनी मिश्रा, मीना कामत और मनोरमा देवी अपनी-अपनी सीटों को बरकरार रखने को लेकर कड़े संघर्ष में हैं। केसरिया से शालिनी मिश्रा लगातार दूसरी बार मैदान में हैं और यहां त्रिकोणीय मुकाबला बनने के संकेत हैं। बाबूबरही से मीना कामत भी दूसरी बार चुनाव लड़ रही हैं, जहां पहले उनके परिवार का राजनीतिक दबदबा रहा है। वहीं बेलागंज सीट, जो वर्षों तक राजद के कब्जे में थी, उपचुनाव में पहली बार जदयू की मनोरमा देवी ने यहां जीत दर्ज की थी। इस बार उन्हें उस जीत को दोहराने की कठिन चुनौती का सामना करना है।
दो महिला चेहरे पहली बार चुनावी मैदान में
दूसरे चरण में जदयू ने दो नई महिला उम्मीदवारों को टिकट देकर अपने संगठनात्मक विस्तार का संकेत दिया है। शिवहर से श्वेता गुप्ता पहली बार चुनाव में किस्मत आजमा रही हैं और यहां उन्हें स्थानीय समीकरणों में खुद को स्थापित करने की चुनौती है। वहीं त्रिवेणीगंज (सुरक्षित) से सोनम रानी सरदार पहली बार चुनावी रण में हैं। सुरक्षित सीट होने के चलते यहां राजनीतिक माहौल अलग है, और सोनम रानी को स्थानीय जातीय समीकरणों के साथ महिला वोटर तक पहुंच बनाना बेहद अहम होगा।
नवादा में टिकट बदलकर उतरीं विभा देवी
नवादा से 2020 में राजद के टिकट पर जीतने वाली विभा देवी इस बार जदयू के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। उनके पति राजवल्भ यादव भी नवादा से विधायक रह चुके हैं, जिससे इस सीट पर उनका प्रभाव लंबे समय से बना रहा है। लेकिन पार्टी बदलने के बाद इस बार विभा देवी के लिए चुनौती पूरी तरह अलग है। उन्हें साबित करना होगा कि उनकी व्यक्तिगत लोकप्रियता पार्टी की सीमाओं से परे है और मतदाता उन्हें नए सियासी रंग में भी स्वीकार करेंगे।
अररिया में शगुफ्ता अजीम पर फिर भरोसा
जदयू ने अररिया से एक बार फिर शगुफ्ता अजीम पर दांव लगाया है। 2020 में भी वह इसी सीट से मैदान में थीं, लेकिन हार का सामना करना पड़ा था। इस बार पार्टी ने उनके अनुभव और स्थानीय पहचान को देखते हुए फिर प्रत्याशी बनाया है। शगुफ्ता के सामने अब अपनी पिछली हार को भुलाकर नए सिरे से चुनावी जमीन मजबूत करने का कठिन कार्य है। अररिया में इस बार मुकाबला और भी दिलचस्प होगा क्योंकि सभी दल महिला मतदाताओं को साधने में जुटे हैं।
