लखपति बन रहीं उत्तराखंड की दीदियां, मगर सवाल अब भी वही - ‘सशक्त तो हैं, पर कितनी सुरक्षित?
Uttarakhand News: उत्तराखंड के नैनीताल जिले में महिला स्वयं सहायता समूहों (Self Help Groups) के जरिए महिलाओं की जिंदगी बदल रही है। लखपति दीदी योजना के तहत महिलाओं की आय में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं। जिले में वर्तमान में 5300 महिला स्वयं सहायता समूह सक्रिय हैं, जिनसे करीब 38,700 महिलाएं जुड़ी हैं। कई समूहों की वार्षिक आय 20 लाख रुपये से अधिक पहुंच चुकी है, जो महिला शक्ति की नई तस्वीर पेश कर रही है।
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महिला समूहों का बढ़ता दायरा
इन समूहों द्वारा ऐपण, रेशम, जैम, जूस, अचार, मोमबत्ती, पिछौड़े जैसे उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं।
इसके अलावा, 23 मोबाइल आउटलेट, 11 वुडन स्टोर, आठ हिलांस किचन, छह ग्रोथ सेंटर और पांच इंदिरा अम्मा कैंटीन जैसे उपक्रम भी महिलाओं द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत चल रहे ये प्रयास अब ग्रामीण महिलाओं की आजीविका और आत्मविश्वास दोनों को नई दिशा दे रहे हैं।
18 हजार लखपति दीदियां बनीं प्रेरणा
एनआरएलएम के जिला थिमेटिक एक्सपर्ट रविंद्र बजेठा ने बताया कि वर्तमान में नैनीताल जिले में 18,000 से अधिक लखपति दीदियां हैं - यानी ऐसी महिलाएं जो सालाना एक लाख रुपये से अधिक कमाती हैं। साल 2023 में इनकी संख्या केवल 2,500 थी, जो अब 168.3% वार्षिक दर से बढ़ रही है। विभाग का लक्ष्य है कि वित्त वर्ष के अंत तक 23,000 लखपति दीदियां तैयार की जाएं।
सशक्त तो हैं दीदियां
जहां महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं, वहीं महिला सुरक्षा अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है।
हाल ही में हल्द्वानी में हुई मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना ने सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न खड़े किए हैं।
राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट बताती है कि पर्वतीय राज्यों में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध उत्तराखंड में दर्ज हुए हैं। ऐसे में महिला सशक्तिकरण तभी सार्थक होगा जब उन्हें सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल भी मिल सके।
