हरियाणा में ‘विज करंट’ से डर गए अफसर! अंबाला कैंट के 4 बड़े पद खाली, बिजली विभाग में हड़कंप

विज के सीधे जवाब-तलब से अफसर सहमे

अंबाला कैंट से सबने बनाई दूरी
निगम द्वारा जारी तबादला सूची में 100 अधिकारियों के नाम शामिल हैं। इनमें से किसी ने भी विज के विधानसभा क्षेत्र को नहीं चुना। पहले से रिक्त चल रहे पदों पर अतिरिक्त कार्यभार दूसरे जिलों के अधिकारियों को सौंपा गया है। अब तीन एसडीओ और एक एक्सईएन के लिए भी यमुनानगर सहित अन्य जिलों से अस्थायी जिम्मेदारी देने की तैयारी है।
काम का बढ़ा दबाव
हरियाणा को दो बिजली निगमों में बांटा गया है-उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (यूएचबीवीएन) और दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (डीएचबीवीएन)। कुल 40,294 स्वीकृत पदों में से करीब 18,769 पद खाली हैं। इस कमी को पूरा करने के लिए सरकार हारट्रोन और हरियाणा कौशल रोजगार निगम (एचकेआरएन) के माध्यम से लगभग 10,948 अस्थायी कर्मचारी लगा रही है, लेकिन स्थायी समाधान अभी तक नहीं मिला।
बिजली लोड का दबाव भी भारी
प्रदेश में करीब 82 लाख बिजली कनेक्शन हैं, जिनमें 64.21 लाख घरेलू, 8.59 लाख गैर-घरेलू, 1.09 लाख औद्योगिक और 7.03 लाख कृषि उपभोक्ता शामिल हैं। कुल लोड 3.93 करोड़ किलोवाट है, जिसमें अकेले औद्योगिक उपभोक्ताओं के हिस्से का लोड 1.24 करोड़ किलोवाट पहुंच चुका है। इस भारी लोड के बीच अफसरों की कमी से संचालन पर असर पड़ना तय है।
पहली बार एसई स्तर तक अफसर लाए गए ऑनलाइन ट्रांसफर दायरे में
अबकी बार ऑनलाइन ट्रांसफर नीति ने निचले स्तर के साथ-साथ सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर (एसई) स्तर तक को शामिल किया है। एसडीओ, एक्सईएन और एसई सभी को अपनी पसंदीदा पोस्टिंग के लिए विकल्प भरने को कहा गया। प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल थी और तबादले आनलाइन ही घोषित किए गए।
ट्रांसफर पॉलिसी का मकसद पारदर्शिता
ऑनलाइन तबादला नीति का उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों के स्थानांतरण में पारदर्शिता लाना और मानवीय हस्तक्षेप को घटाना है। लेकिन अंबाला कैंट के उदाहरण ने इस नीति की कमियों को उजागर कर दिया है। जिन डिवीजनों से अधिकारी हटे, वहां नए अफसर तैनात ही नहीं हो पाए। यह स्थिति न केवल कार्यप्रवाह को प्रभावित कर रही है बल्कि नीति की प्रभावशीलता पर भी प्रश्न खड़े कर रही है।
अधिकारी नहीं चाहते कैंट
बिजली विभाग के सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर वी.के. गोयल ने बताया कि सभी तबादले ऑनलाइन नीति के तहत हुए हैं। किसी ने अंबाला कैंट को विकल्प में नहीं चुना, इसलिए वहां के कार्यभार को अस्थायी रूप से अन्य जिलों के अधिकारियों को सौंपा जाएगा। विभाग जल्द ही रिक्त पदों को भरने के लिए पुनर्विचार करेगा।
