लखनऊ में पुलिस पर भीड़ का हमला, महिलाओं ने आगे बढ़कर किया संघर्ष, दरोगा समेत सात पुलिसकर्मी घायल; नौ हिरासत में


थाना दिवस होने के कारण कई वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद थे। पुलिस ने भीड़ के नौ लोगों को हिरासत में लिया, जिनमें पांच पुरुष और चार महिलाएं शामिल हैं। डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने बताया कि हिरासत में लिए गए लोगों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।
महिलाओं ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि वे धरना देने आई थीं, लेकिन कुछ लोग लाठी-डंडा लेकर आए और लोगों पर हमला किया। मृतक सफाईकर्मी के भाई की पत्नी रंजना रावत ने आरोप लगाया कि पुलिस ने लाठीचार्ज कर उन्हें पीटा और पुरुषों को दबोच लिया।
घटना से जुड़े वीडियो में देखा गया कि पहले कुछ युवकों को पुलिसकर्मी पकड़ रहे थे और उन्हें थाने ले जाने की कोशिश कर रहे थे। भीड़ से महिलाएं आगे आईं और दो युवकों को पुलिस के हाथों से छुड़ा लिया। कुल मिलाकर करीब 40 लोगों की भीड़ थाने पहुंची थी।
पुलिस के अनुसार मृतक अरुण के परिजन 50-60 लोगों के साथ थाने पहुंचे और रोड जाम कर दिया। पुलिस ने समझाने का प्रयास किया, लेकिन लोग लाठी-डंडों से पुलिसकर्मियों पर टूट पड़े। इस दौरान क्राइम इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार के सिर पर चोट लगी, जबकि छह अन्य पुलिसकर्मी मामूली रूप से घायल हुए।
डीसीपी ने बताया कि थाने में थाना दिवस होने के कारण एसीपी और एसीएम भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि अभद्रता करने वाले लोगों के खिलाफ सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत कर कठोरतम कार्रवाई की जा रही है। मौके पर कानून व्यवस्था अब सामान्य है।
जानकारी के अनुसार अरुण रावत, निवासी विद्या नगर कॉलोनी कटेरी बाग, लुलु मॉल में सफाईकर्मी थे। 21 अक्टूबर की रात घर से निकलने के बाद वह लौटे नहीं। 22 अक्टूबर की सुबह उनका शव कार्तिक गेस्ट हाउस में कमरे में पड़ा मिला। परिजनों ने सुपरवाइजर अमन उर्फ अमर पर पुरानी रंजिश के चलते हत्या कराने का आरोप लगाया।
इससे पहले परिजन ने विजय नगर चौराहा पर सड़क जाम कर प्रदर्शन किया था। पुलिस ने आश्वासन देकर मामला शांत कराया था।
घटना के कारण सामाजिक माहौल तनावपूर्ण रहा और प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए तुरंत कार्रवाई की।
