सरकार ने 30 करोड़ बीमा धारकों के निवेश का दुरुपयोग कर अडानी को पहुंचाया फायदा- जयराम रमेश


कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने शनिवार को यहां जारी बयान में कहा कि मीडिया में हाल ही में कुछ परेशान करने वाले खुलासे सामने आए हैं कि किस तरह सरकार ने एलआईसी और उसके 30 करोड़ पॉलिसीधारकों की बचत का व्यवस्थित रूप से दुरुपयोग किया है।
उन्होंने कहा कि आंतरिक दस्तावेज़ के अनुसार सरकारी अधिकारियों ने गत मई में एक ऐसा प्रस्ताव तैयार किया और उसे आगे बढ़ाया, जिसके तहत एलआईसी की लगभग 34,000 करोड़ रुपए की धनराशि को अडानी समूह की विभिन्न कंपनियों में निवेश किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका उद्देश्य 'अडानी समूह में विश्वास का संकेत देना' और 'अन्य निवेशकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना' था।
कांग्रेस ने सवाल उठाया कि आखिर वित्त मंत्रालय और नीति आयोग के अधिकारियों ने किसके दबाव में यह तय किया कि उनका काम गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण वित्तीय संकट से जूझ रही एक निजी कंपनी को बचाना है। उन्हें सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध एलआईसी को निवेश करने के निर्देश देने का अधिकार किसने दिया। क्या यह 'मोबाइल फ़ोन बैंकिंग' जैसा ही मामला नहीं है।
रमेश ने उद्योगपति अडानी को लेकर विस्तार से बताया कि जब 21 सितंबर 2024 को गौतम अडानी और उनके सात सहयोगियों पर अमेरिका में आरोप तय किए गए, तो केवल चार घंटे की ट्रेडिंग में ही एलआईसी को 920 अरब डॉलर यानी 7,850 करोड़ रुपए का भारी नुकसान हुआ। इससे पता चलता है कि सार्वजनिक धन को चहेते कॉरपोरेट घरानों पर लुटाने की कीमत कितनी भारी पड़ती है।अडानी पर भारत में महँगे सौर ऊर्जा ठेके हासिल करने के लिए 2,000 करोड़ रुपए यानी की रिश्वत योजना बनाने का आरोप है। मोदी सरकार लगभग एक साल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस करीबी मित्र को अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग का समन आगे बढ़ाने से इनकार कर रही है।
उन्होंने कहा, “मोडानी मेगा घोटाला बेहद व्यापक है और इसमें ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग करके अन्य निजी कंपनियों पर दबाव डालना, ताकि वे अपनी संपत्तियाँ अडानी समूह को बेच दें। हवाई अड्डों और बंदरगाहों जैसे महत्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर संसाधनों का पक्षपाती निजीकरण, ताकि उसका लाभ केवल अडानी समूह को ही मिले। राजनयिक संसाधनों का दुरुपयोग करके विभिन्न देशों में, खासकर भारत के पड़ोसी देशों में, अडानी समूह को ठेके दिलवाना।
अडानी के करीबी सहयोगी नासिर अली शबान अहली और चांग चुंग-लिंग द्वारा शेल कंपनियों के मनी-लॉन्ड्रिंग नेटवर्क का उपयोग करते हुए ओवर-इनवॉइस करते हुए कोयले का आयात किया गया, जिसके कारण गुजरात में अडानी पावर स्टेशनों से मिलने वाली बिजली की कीमतों में तेज़ बढ़ोतरी हुई। मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में असामान्य रूप से ऊंची कीमतों पर चुनाव-पूर्व बिजली आपूर्ति समझौते और चुनावी राज्य बिहार में एक बिजली संयंत्र के लिए हाल ही में 1 रुपये प्रति एकड़ की दर से भूमि का आवंटन आदि शामिल है।”
कांग्रेस संचार प्रभारी ने कहा कि इस पूरे मेगा घोटाले की जाँच केवल संसद की संयुक्त संसदीय समिति-जेपीसी द्वारा ही की जा सकती है। पहले कदम के तौर पर, संसद की लोक लेखा समिति-पीएसी को यह पूरी तरह जाँच करनी चाहिए कि एलआईसी को अडानी समूह में निवेश करने के लिए कैसे मजबूर किया गया। यह जाँच पूरी तरह उसके अधिकार क्षेत्र में आती है।
