अमेरिकी रिपोर्ट से LIC पर सवाल: अडाणी ग्रुप में ₹33,000 करोड़ निवेश का दावा, कांग्रेस ने PAC जांच की मांग


टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने 'द वॉशिंगटन पोस्ट' की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि जब गौतम अडाणी इस साल की शुरुआत में भारी कर्ज में थे और अमेरिका में घूसखोरी के आरोपों का सामना कर रहे थे, तब केंद्र सरकार और LIC ने अडाणी ग्रुप में निवेश किया।
LIC ने आरोपों को नकारा
LIC ने इस रिपोर्ट को सिरे से नकार दिया है। कंपनी ने साफ किया है कि उसके सभी निवेश पूरी ईमानदारी और सावधानीपूर्वक जांच के साथ ही किए जाते हैं। LIC ने दावा किया कि रिपोर्ट में बताए गए किसी भी ऐसे डॉक्यूमेंट या प्लान को LIC ने कभी तैयार नहीं किया, जो कंपनी के अडाणी ग्रुप में निवेश के प्लान को बताती हो।
कंपनी ने यह भी कहा कि ये रिपोर्ट LIC की मजबूत और साफ-सुथरी फैसला लेने की प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाने, कंपनी की अच्छी इमेज को खराब करने और भारत के मजबूत वित्तीय क्षेत्र की बुनियाद को खराब करने के मकसद से जारी की गई है।
जयराम रमेश का 'बड़ा घोटाला' का आरोप
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस पूरे मामले को 'बहुत बड़ा घोटाला' बताते हुए इसमें कई बातें शामिल होने का दावा किया:
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सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग: उन्होंने आरोप लगाया कि प्रवर्तन निदेशालय (ED), सीबीआई और इनकम टैक्स विभाग का इस्तेमाल करके अन्य निजी कंपनियों पर दबाव डाला गया ताकि वे अपनी संपत्ति अडाणी ग्रुप को सस्ते में बेच दें।
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संपत्तियों का गलत निजीकरण: हवाई अड्डे और बंदरगाह जैसी जरूरी चीजों को सिर्फ अडाणी ग्रुप को फायदा पहुंचाने के लिए धांधली करके बेचा गया।
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विदेशी सौदों में मदद: भारत की कूटनीति का इस्तेमाल करके बांग्लादेश या श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों में अडाणी को कॉन्ट्रैक्ट दिलवाए गए।
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कोयले की महंगाई का खेल: अडाणी ग्रुप पर शेल कंपनियों के जरिए महंगा कोयला आयात करने का आरोप लगाया गया, जिससे गुजरात के अडाणी पावर प्लांट से बिजली की कीमतें बढ़ गईं।
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चुनाव से पहले बिजली के सौदे: मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में चुनाव से पहले अडाणी को ऊंची कीमतों पर बिजली सप्लाई के कॉन्टैक्ट दिए गए। उन्होंने बिहार में चुनाव से पहले एक पावर प्लांट के लिए जमीन सिर्फ ₹1 प्रति एकड़ में आवंटित किए जाने का भी आरोप लगाया।
गौतम अडाणी से जुड़े पुराने विवाद
यह नया विवाद ऐसे समय में आया है जब गौतम अडाणी पहले से ही दो बड़े विवादों का सामना कर चुके हैं:
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हिंडनबर्ग रिसर्च का मामला: जनवरी 2023 में, हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें अडाणी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग और शेयर मैनिपुलेशन के आरोप लगाए गए थे। इसके बाद ग्रुप के शेयरों की मार्केट वैल्यू में भारी गिरावट आई और उन्हें अपना ₹20,000 करोड़ का फॉलोऑन पब्लिक ऑफर रद्द करना पड़ा था। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने 6 सदस्यीय कमेटी बनाई और सेबी ने जांच की। गौतम अडाणी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को 'सत्य की जीत' बताया था।
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लो-ग्रेड कोयले को हाई-ग्रेड में बेचने का आरोप: इसी साल 'फाइनेंशियल टाइम्स' ने दावा किया था कि अडाणी ग्रुप ने इंडोनेशियाई कंपनी से 'लो-ग्रेड' कोयला खरीदकर उसे तमिलनाडु जेनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी (TANGEDCO) को उच्च गुणवत्ता वाले कोयले के रूप में काफी ऊंचे दाम पर बेच दिया था।
अडाणी ग्रुप और गौतम अडाणी की स्थिति
फोर्ब्स के अनुसार, गौतम अडाणी एशिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति हैं, जिनकी नेटवर्थ ₹6.22 लाख करोड़ है। वह दुनिया के अमीरों की लिस्ट में 27वें नंबर पर हैं। अडाणी ग्रुप का कारोबार कोल ट्रेडिंग, माइनिंग, लॉजिस्टिक्स, पावर जेनरेशन, सीमेंट इंडस्ट्री और डिस्ट्रीब्यूशन तक फैला हुआ है।
