मध्यप्रदेश में जहरीले कफ सिरप कांड के बाद सरकार जागी नींद से, दवा-जांच के लिए 211 करोड़ का प्रस्ताव तैयार
Madhya Pradesh News: भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के गठन के चौदह वर्ष बाद भी निगरानी व्यवस्था उम्मीद के अनुसार मजबूत नहीं हो सकी है। प्रदेश के 313 विकासखंडों के मुकाबले 367 स्वीकृत पदों में से 152 ही खाद्य सुरक्षा अधिकारी कार्यरत हैं। यानी, आवश्यक संख्या से आधे से भी कम कर्मचारी सक्रिय हैं। परिणामस्वरूप निरीक्षण और जांच की प्रक्रियाएं बेहद धीमी हैं।
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सालाना सिर्फ 6 हजार सैंपल की जांच
एक एफएसओ को महीने में 30 सैंपल लेने होते हैं-10 वैधानिक और 20 निगरानी रूप में। 152 एफएसओ से साल भर में लगभग 18,240 वैधानिक सैंपल एकत्र होते हैं, जबकि भोपाल स्थित लैब की सालाना जांच क्षमता केवल 6,000 सैंपल की है। अतिरिक्त समय में जांच के बावजूद केवल 13,000 सैंपल ही पूरे वर्ष परीक्षण हो पाते हैं और शेष सैंपल अगले वर्ष के लिए लंबित रहते हैं।
उपकरण और लैब विस्तार की सख्त जरूरत
वर्तमान में माइक्रोबायोलॉजी जांच की सुविधा अभी भी उपलब्ध नहीं है, जिससे खाद्य और पेय पदार्थों में बैक्टीरिया या फंगस जैसे हानिकारक तत्वों की पहचान मुश्किल हो जाती है। सरकार ने निजी लैबों से सीमित सैंपलों की जांच शुरू की है, पर यह व्यवस्था व्यापक स्तर पर नाकाफी है।
तीन प्रमुख शहरों में नई लैबें तैयार
इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में बीते छह सालों से फूड लैब बनाने का काम जारी है, लेकिन अभी तक एक भी पूरी तरह शुरू नहीं हो पाई है। हालांकि इंदौर की नई लैब 27 अक्टूबर से काम शुरू करने जा रही है, जिसका शुभारंभ मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव करेंगे। यह राज्य की खाद्य सुरक्षा संरचना में एक बड़ा सुधार साबित हो सकता है।
