एमपी स्टेट बार काउंसिल चुनाव अब हुआ ‘लक्ज़री गेम’: 25 हजार से बढ़कर 1.25 लाख रुपये नामांकन शुल्क, वकीलों में रोष

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के सवा लाख से अधिक पंजीकृत वकीलों के लिए अब एमपी स्टेट बार काउंसिल का चुनाव लड़ना पहले जितना आसान नहीं रहा। देश की सर्वोच्च संस्था बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने एक ताज़ा आदेश जारी कर नामांकन शुल्क में पांच गुना की भारी बढ़ोतरी कर दी है। पहले जहां प्रत्याशी को मात्र 25,000 रुपये का शुल्क देना होता था, वहीं अब यह राशि बढ़ाकर 1,25,000 रुपये कर दी गई है। सबसे बड़ा झटका यह है कि यह राशि वापस नहीं की जाएगी, जिससे उम्मीदवारों में गहरा असंतोष फैल गया है।
वकीलों में गुस्सा, विरोध के स्वर तेज़
पहले एमपी स्टेट बार काउंसिल का चुनाव 25 हजार रुपये नामांकन शुल्क के साथ होता था, पर अब 1.25 लाख रुपये का बोझ उम्मीदवारों के लिए चिंता का विषय बन गया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बीसीआई का नया निर्देश
24 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश जारी करते हुए देशभर की स्टेट बार काउंसिलों के चुनाव जनवरी 2026 तक कराने के निर्देश दिए थे। इसके तहत सात सदस्यीय चुनाव समितियों का गठन किया गया। इस आदेश के बाद बीसीआई ने सभी राज्य बार काउंसिलों को पत्र भेजा, जिसमें कहा गया कि पहले ला ग्रेजुएट्स नामांकन शुल्क 16,000 रुपये से घटाकर 600 रुपये किया गया था, जिससे राज्य बार काउंसिल की आय में गिरावट आई है।
इसी वित्तीय कमी को दूर करने के लिए एमपी स्टेट बार काउंसिल के चुनाव शुल्क को 25,000 से बढ़ाकर 1,25,000 रुपये करने का निर्णय लिया गया है।
चुनावी तैयारी के बीच उम्मीदवारों की चिंता बढ़ी
एमपी स्टेट बार काउंसिल की मौजूदा कार्यकारिणी का कार्यकाल अगले माह समाप्त होने जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में जनवरी 2026 तक नई कार्यकारिणी के चुनाव होने हैं। इस बीच प्रत्याशी तैयारी में जुटे हैं, लेकिन नामांकन शुल्क की भारी बढ़ोतरी ने उनकी योजनाओं पर असर डाला है।
कई उम्मीदवारों का कहना है कि इतनी बड़ी रकम देने के बाद चुनावी प्रचार और जनसंपर्क के लिए पर्याप्त धनराशि नहीं बचेगी, जिससे चुनाव में असमानता की स्थिति बनेगी।
वेकेशन में प्रत्याशियों ने शुरू किया जनसंपर्क अभियान
दशहरा की छुट्टियों के दौरान कई प्रत्याशियों ने चुनावी रणनीति को तेज़ करते हुए जनसंपर्क अभियान शुरू कर दिया है। वकीलों के घर-घर जाकर समर्थन मांगा जा रहा है। साथ ही, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी वकील समुदाय को अपने पक्ष में मतदान करने की अपील की जा रही है।
हालांकि अधिकांश उम्मीदवार इस बात पर एकजुट हैं कि इतनी ऊंची फीस से लोकतांत्रिक प्रतिस्पर्धा प्रभावित होगी और केवल आर्थिक रूप से सक्षम उम्मीदवारों को ही लाभ मिलेगा।
‘अनुचित निर्णय, वापस लिया जाए’ – आर.के. सिंह सैनी
एमपी स्टेट बार काउंसिल के वाइस चेयरमैन आर.के. सिंह सैनी ने कहा कि बीसीआई द्वारा नामांकन शुल्क में सीधे पांच गुना वृद्धि अनुचित है। उन्होंने बताया कि इस निर्णय के खिलाफ एसबीसी ने बीसीआई को पत्र लिखकर आपत्ति दर्ज कराई है।
सैनी ने यह भी कहा कि जल्द ही बीसीआई की सामान्य सभा की बैठक होगी, जिसमें संभव है कि इस शुल्क को घटाने पर विचार-विमर्श किया जाए। उन्होंने उम्मीद जताई कि वकीलों की भावनाओं का सम्मान करते हुए इस निर्णय में संशोधन किया जाएगा।
वकीलों में बढ़ी बेचैनी, लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर उठे सवाल
नामांकन शुल्क में पांच गुना बढ़ोतरी के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या अब स्टेट बार काउंसिल का चुनाव केवल अमीर उम्मीदवारों का खेल बन जाएगा? कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने कहा कि यह कदम लोकतांत्रिक और पारदर्शी चुनाव प्रणाली के विपरीत है।
अब सबकी निगाहें बीसीआई की आगामी बैठक पर टिकी हैं, जहां इस विवादास्पद निर्णय पर पुनर्विचार की संभावना जताई जा रही है।