"अमेरिका से मतभेद हैं, पर संबंध प्रभावित नहीं होने चाहिए": विदेश मंत्री जयशंकर
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नयी दिल्ली। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अमेरिका के साथ टैरिफ (शुल्क) के मुद्दे पर कुछ समस्याएं और मतभेद हैं, जिनका समाधान नहीं हो पाया है, लेकिन इन्हें इस हद तक ले जाने की आवश्यकता नहीं है कि ये दोनों देशों के बीच अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में संबंधों को प्रभावित करें।
टैरिफ और रूस से तेल खरीद पर भारत का रुख
अमेरिका के साथ चल रहे व्यापारिक तनाव पर विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक वार्ताओं का ठोस परिणाम नहीं निकल पाने के कारण भारत पर दो तरह के शुल्क (टैरिफ) लगाए गए हैं।
उन्होंने रूस से तेल खरीद पर लगाए गए अमेरिकी शुल्क को अनुचित बताते हुए कहा, "हम पर निशाना साधा जा रहा है, जबकि अन्य देशों ने भी ऐसा किया है।" उन्होंने जोर दिया कि बातचीत के माध्यम से इन मुद्दों का समाधान किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि हमें इसे इस हद तक ले जाना चाहिए कि यह संबंधों के हर पहलू तक पहुंच जाए। समस्याएं हैं, मुद्दे हैं। उन मुद्दों पर बातचीत, चर्चा और समाधान की आवश्यकता है और हम इसी तरह की कोशिश कर रहे हैं।"
'क्वाड' समूह और एफटीए पर स्थिति स्पष्ट
क्वाड (Quad) समूह को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लगाते हुए डॉ. जयशंकर ने स्पष्ट किया कि यह समूह पूरी तरह सक्रिय है और अपना काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष क्वाड विदेश मंत्रियों की दो बैठकें हो चुकी हैं और यह एक महत्वपूर्ण तथा प्रासंगिक समूह है।
मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) पर उन्होंने कहा कि भारत उन अर्थव्यवस्थाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है जो टिकाऊ और पूर्वानुमानित हों। उन्होंने कहा कि भारत ब्रिटेन के साथ एफटीए से संतुष्ट है, यूरोपीय संघ (EU) के साथ एफटीए को लेकर भी गंभीर है, और अमेरिका के साथ समझ बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
विदेश मंत्री ने माना कि भारत पहले ही काफी समय गंवा चुका है और अब उसके सामने विनिर्माण (Manufacturing) क्षेत्र को विकसित करने की बड़ी चुनौती है।
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