मुंबई। ग्लेनेईगल्स अस्पताल के डॉक्टरों ने समय पर की गई सफल ब्रेन सर्जरी से 56 वर्षीय सोशल वर्कर सुशील वर्मा को असहनीय दर्द से निजात दिलाई। पिछले दस वर्षों से वे ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया नामक गंभीर बीमारी से पीड़ित थे, जिसे दुनिया की सबसे तीव्र दर्द वाली स्थिति माना जाता है।
सुशील वर्मा कई सालों तक चेहरे में बिजली के झटकों जैसे दर्द से जूझते रहे। शुरुआती दिनों में बीमारी की सही पहचान नहीं हो सकी। दांत निकलवाने से लेकर तरह-तरह की दवाइयां लेने तक सब कुछ आजमाया गया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। दर्द इतना बढ़ गया कि उन्होंने खाना, बोलना और हंसना तक छोड़ दिया। धीरे-धीरे वे डिप्रेशन में चले गए और जिंदगी खत्म करने तक का विचार करने लगे।
डॉक्टरों की टीम और सटीक सर्जरी
ग्लेनेईगल्स अस्पताल के इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजी व हेड, न्यूरोसर्जरी एवं स्पाइन विभाग के डायरेक्टर डॉ. नितिन डांगे, डॉ. कुणाल भाटिया और डॉ. मयूर घराट ने मरीज की जांच कर पाया कि उनके मस्तिष्क की एक नस पर धमनी दबाव डाल रही थी। इसके इलाज के लिए माइक्रोवास्कुलर डीकम्प्रेशन (MVD) सर्जरी की गई। इस प्रक्रिया में नस को दबाव से मुक्त कर सुरक्षा कुशन लगाया गया। करीब तीन घंटे चली इस सर्जरी के बाद सुशील को तुरंत दर्द से राहत मिल गई।
मरीज की खुशी और डॉक्टरों का संदेश
सुशील वर्मा का कहना है, “पिछले 10 साल तक मैंने असहनीय दर्द सहा, जिससे जीवन नर्क बन गया था। लेकिन डॉक्टरों की मेहनत की वजह से आज मैं बिना दवा और बिना दर्द के सामान्य जीवन जी रहा हूं। यह मेरे लिए नई जिंदगी है।”
डॉ. नितिन डांगे ने बताया कि अगर समय रहते सही इलाज न किया जाए तो मरीज को कमजोरी, वजन कम होना और मानसिक तनाव जैसी समस्याएं हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि एमवीडी सर्जरी समय पर की जाए तो मरीज का जीवन पूरी तरह बदल सकता है।
ग्लेनेईगल्स अस्पताल के सीईओ डॉ. बिपीन चेवले ने कहा, “यह केस इस बात का उदाहरण है कि समय पर सही निदान और एडवांस न्यूरोसर्जरी कितनी महत्वपूर्ण है। हमारा प्रयास है कि जटिल न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को आधुनिक तकनीक और बेहतर इलाज उपलब्ध कराएं।”