छठ पूजा के बहाने बिहारियों को साधने में जुटी भाजपा, मुंबई-ठाणे में बनाए सैकड़ों घाट


बिहार मूल के लोगों पर भाजपा की निगाह

छठ पूजन स्थलों की संख्या में हुआ इजाफा
भाजपा नेताओं ने मुंबई में छठ पूजा के आयोजन को बृहद स्तर पर करने का बीड़ा उठाया है। पार्टी द्वारा मुंबई भर में 60 से अधिक घाटों और ठाणे क्षेत्र में कई पूजा स्थलों का निर्माण कराया जा रहा है। पिछले वर्षों में जहां जुहू बीच जैसे प्रसिद्ध स्थलों पर पूजा होती थी, वहीं अब भाजपा ने इसे शहर के 40 से अधिक इलाकों तक फैलाने की योजना बनाई है। इससे न सिर्फ धार्मिक आस्था को सम्मान मिलेगा, बल्कि भाजपा का जनसंपर्क भी गहराएगा।
छठ की रात मुंबई में दिखेगा बिहारियों का जनसैलाब
मुंबई भाजपा अध्यक्ष अमित साटम ने इस बार बीएमसी से मांग की है कि छठ पूजा की रात मेट्रो और बस सेवाएं जारी रखी जाएं। अनुमान है कि पूजा के दौरान सात से आठ लाख लोग घाटों पर उपस्थित होंगे। यह दृश्य मुंबई की सड़कों से लेकर ठाणे के तालाबों तक फैला दिखाई देगा। भाजपा को उम्मीद है कि इस सांस्कृतिक उत्सव के माध्यम से वह बिहारियों के दिलों में अपनी जगह और मजबूत कर सकेगी।
भाजपा की परंपरा और छठ से जुड़ा ऐतिहासिक रिश्ता
छठ पर्व से भाजपा का जुड़ाव नया नहीं है। 1990 के दशक में भाजपा नेता मोहन मिश्र ने पहली बार मुंबई में छठ पूजा को संगठित स्वरूप देने की पहल की थी। बाद में 2004 में पार्टी के रणनीतिकार प्रमोद महाजन ने मोहन मिश्र को भाजपा प्रत्याशी मंगलप्रभात लोढ़ा के लिए बिहारियों का समर्थन जुटाने की जिम्मेदारी दी थी। तब से यह पर्व भाजपा के लिए केवल धार्मिक नहीं, बल्कि राजनीतिक अवसर भी बन गया है।
फडणवीस का संदेश
महाराष्ट्र सरकार के मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस दोनों ने इस पर्व को समान सम्मान देने की बात कही है। फडणवीस ने बीएमसी अधिकारियों को निर्देश दिया है कि छठ पूजा आयोजनों के लिए ‘वन विंडो क्लियरेंस सिस्टम’ लागू किया जाए। उन्होंने इसे “दो राज्यों के बीच सांस्कृतिक सेतु” बताते हुए कहा कि महाराष्ट्र और बिहार की भावनात्मक एकता को यह पर्व और मजबूत बनाएगा।
चुनावी नजरिए से खास है भाजपा की यह पहल
भाजपा की छठ आयोजन नीति केवल धार्मिक गतिविधि नहीं, बल्कि राजनीतिक गणना भी है। मुंबई और ठाणे से अपने गांव लौटने वाले लाखों बिहारी मतदाता अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान भी करेंगे। यही कारण है कि पार्टी महाराष्ट्र में संस्कार छवि बनाते हुए बिहार की चुनावी जमीन पर अपनी पकड़ और मज़बूत करना चाहती है। इस रणनीति को भाजपा के “छठ डिप्लोमैसी” के नाम से भी देखा जा रहा है।