BARC का 30 साल पुराना फर्जी साइंटिस्ट चढ़ा पुलिस चक्रव्यूह में: 40 विदेशी सफर, ईरान-अमेरिका से करोड़ों फंड
Maharashtra News: एक लंबे समय से चली आ रही जासूसी साजिश का खुलासा करते हुए मुंबई क्राइम ब्रांच ने 60 वर्षीय अख्तर हुसैन कुतुबुद्दीन अहमद को धर दबोचा, जो 30 साल से BARC वैज्ञानिक बनकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संवेदनशील जानकारी बेच रहा था। फर्जी पहचान 'अलेक्जेंडर पाल्मर' के तहत उसने 40 यात्राएं कीं-ईरान 20, सऊदी 15 बार, अमेरिका, इराक, रूस और थाईलैंड सहित। 1995 से करोड़ों की विदेशी फंडिंग मिली, जो न्यूक्लियर प्लांट्स के ब्लूप्रिंट्स के बदले थी। उसके पास से 14 नक्शे, न्यूक्लियर डेटा, तीन फर्जी पासपोर्ट, आधार-पैन और BARC आईडी (अली रजा हुसैन नाम से) बरामद हुए।
न्यूक्लियर राजों का काला बाजार
बैंक खातों में छिपे विदेशी राज
अख्तर ने कबूल किया कि BARC मैप्स और तकनीकी डेटा बेचकर कमाई की, यहां तक कि ईरानी साइट्स की फर्जी इमेजेस भेजीं। सहयोगी मुन्नाजिर खान ने फर्जी डिग्री, पासपोर्ट (नसीमुद्दीन सैयद आदिल हुसैनी) बनाए। पुलिस ने फोन-लैपटॉप जब्त कर डिजिटल फॉरेंसिक शुरू किया। आदिल पर मेरठ में आधिकारिक गोपनीयता उल्लंघन का केस।
फर्जी दस्तावेजों का साम्राज्य
NIA-IB समर्थन से चली जांच में अख्तर का 2004 दुबई निर्वासन सामने आया। कोर्ट ने न्यायिक हिरासत दी, जबकि मुन्नाजिर को 1 नवंबर तक पुलिस कस्टडी। अंतरराष्ट्रीय कॉल्स और फैमिली स्क्रूटनी जारी। यह घोटाला न्यूक्लियर सिक्योरिटी पर खतरे की घंटी बजा रहा है।
