रोहित आर्य एनकाउंटर से गरमी सियासत: ठेकेदारों के बकाए ने महाविकास अघाड़ी और सरकार को आमने-सामने ला दिया
Maharashtra News: मुंबई के पवई इलाके में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए रोहित आर्य का मामला अब केवल अपराध की खबर नहीं रहा, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति का गर्म विषय बन गया है। घटना के बाद विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (एमवीए) ने भाजपा नेतृत्व वाली महायुति सरकार पर ठेकेदारों को परेशान करने, बकाया अटकाने और भुगतान में देरी के आरोप लगाए हैं।
दो करोड़ की रकम का विवाद बढ़ा तनाव
सुंदर शाला' योजना पर उठे प्रश्न
अक्टूबर 2022 में तत्कालीन स्कूल शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने ‘माझी शाला, सुंदर शाला’ अभियान के तहत ‘लेट्स चेंज’ पहल शुरू की थी। रोहित आर्य को जुलाई से अक्टूबर 2023 तक इस परियोजना का निदेशक नियुक्त किया गया था। आर्य का दावा था कि विभाग ने उनके काम का भुगतान नहीं किया और नियमों के बावजूद धन रोका गया।
केसरकर का बचाव और आरोपों की झड़ी
दीपक केसरकर ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने केवल शिष्टाचारवश चेक से मदद की थी, यह किसी परियोजना भुगतान से जुड़ा नहीं था। वहीं उन्होंने आर्य पर आरोप लगाया कि उन्होंने छात्रों से सीधे धन वसूला और विभाग से इसके लिए लिखित स्पष्टीकरण मांगा गया था। उनके बयान ने विवाद को और गहरा कर दिया है।
सरकार की सफाई और नई शिक्षा मंत्री की प्रतिक्रिया
वर्तमान में स्कूल शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने कहा कि सूचना मिली है कि आर्य की संस्था ने बिना अनुमति शैक्षणिक संस्थानों से पैसा एकत्र किया। सरकार ने आधिकारिक रूप से स्पष्ट किया कि रोहित आर्य और उनकी कंपनी ‘अप्सरा मीडिया एंटरटेनमेंट नेटवर्क्स’ का राज्य के शिक्षा विभाग से कोई औपचारिक अनुबंध नहीं था।
CSR परियोजना की सीमित मंजूरी बनी विवाद की जड़
आर्य की ‘स्वच्छता मॉनिटर’ परियोजना को 2021 में CSR श्रेणी में नौ लाख रुपये का वित्तपोषण जरूर मिला था, लेकिन इसके बाद के चरणों को स्वीकृति नहीं दी गई। इसके बावजूद आर्य की संस्था ने अपनी गतिविधियां निजी तौर पर जारी रखीं। इसी कारण परियोजना और विभाग दोनों की जवाबदेही पर सवाल उठने लगे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उठाई निष्पक्ष जांच की मांग
पुणे के सामाजिक कार्यकर्ता विजय कुंभार ने कहा कि मंत्री द्वारा निजी खाते से किसी ठेकेदार को पैसा देना गंभीर संदेह पैदा करता है। उन्होंने स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए कहा कि प्रशासनिक जिम्मेदारी तय होनी जरूरी है ताकि किसी भी गड़बड़ी की सच्चाई सामने आए।
विपक्षी दलों का तीखा हमला
कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि यदि रोहित आर्य मानसिक रूप से अस्थिर था, तो उसे ‘सुंदर शाला’ योजना में प्रमुख भूमिका क्यों दी गई? उन्होंने सरकार से पूछा कि ठेकेदारों के बकाए और मानसिक दबाव की वजह से राज्य में आत्महत्याओं की घटनाएं क्यों बढ़ रही हैं और क्या सरकार इस पर जवाब देगी?
बकाया भुगतानों पर राकांपा और शिवसेना (यूबीटी) का प्रहार
राकांपा (शरदचंद्र पवार गुट) के विधायक रोहित पवार ने दावा किया कि राज्य भर में ठेकेदारों के 80,000 करोड़ रुपये से अधिक के बकाए लंबित हैं। उन्होंने कहा कि नागपुर और सांगली में ठेकेदारों द्वारा आत्महत्या जैसी घटनाएं हुई हैं। वहीं, शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि भले ही आर्य का कदम गलत था, लेकिन सरकार की नीतिगत विफलता ने ऐसी परिस्थितियाँ पैदा कीं।
