सत्ता के पृथक्करण का सिद्धांत सर्वोपरि: गुजरात हाईकोर्ट ने UCC पैनल गठन के खिलाफ दायर याचिका खारिज
Gujarat News: गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा गठित समान नागरिक संहिता (UCC) पैनल को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि समिति का गठन पूरी तरह कार्यपालिका का अधिकार है, जिसमें न्यायपालिका हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
राज्य का ‘शुद्ध नीतिगत निर्णय’
न्यायिक दखल की सीमा: सत्ता पृथक्करण सिद्धांत लागू
खंडपीठ ने आगे कहा कि सत्ता के पृथक्करण (Separation of Powers) का सिद्धांत यहां लागू होता है। संविधान का अनुच्छेद 226 न्यायपालिका को केवल सीमित परिस्थितियों में हस्तक्षेप का अधिकार देता है- जहाँ कार्यपालिका अपने अधिकारों का दुरुपयोग करे या कर्तव्य निभाने में विफल हो।
यह मामला उन सीमाओं में नहीं आता।
बिना अधिसूचना समिति गठन का मुद्दा भी खारिज
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि सरकार ने बिना औपचारिक अधिसूचना जारी किए यूसीसी समिति की घोषणा कर दी, जो कानूनन गलत है। कोर्ट ने इसे आधारहीन बताते हुए कहा कि नीति निर्माण में अधिसूचना अनिवार्य नहीं होती, और न्यायालय नीतिगत दखल नहीं दे सकता।
2025 में भी खारिज हुई थी याचिका
इससे पहले भी जुलाई 2025 में एकल पीठ समान नागरिक संहिता पर विचार के लिए गठित समिति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर चुकी थी। अदालत ने पुनः दोहराया कि जब तक कार्यपालिका अधिकारों का अतिक्रमण या दुरुपयोग न करे, न्यायिक हस्तक्षेप संभव नहीं है।
