Punjab News: कपूरथला की सर्कुलर रोड पर हर साल की तरह इस बार भी पुरानी अबरोल फैक्ट्री परिसर में पटाखा बाजार सज गया है। जिला प्रशासन ने नियमों के अनुसार केवल छह लाइसेंसधारकों को अस्थायी दुकान लगाने की अनुमति दी थी, लेकिन हकीकत में यहां 22 दुकानें खुल गई हैं। इन दुकानों में जमकर पटाखे बिक रहे हैं और प्रशासन की नजर कहीं नहीं पहुँच रही। बाजार में यह खुला खेल जनता की सुरक्षा और सरकारी नीति दोनों पर सवाल खड़े कर रहा है।
प्रशासन की चुप्पी और नेताओं की भूमिका
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, सत्ता पक्ष के कुछ नेताओं की सरपरस्ती में ये अवैध दुकानें धड़ाधड़ खड़ी कर दी गईं। जिनके पास लाइसेंस नहीं हैं, वे भी ‘पॉलिटिकल शेल्टर’ के कारण खुलकर कारोबार कर रहे हैं। माना जा रहा है कि शासन-प्रशासन की मिलीभगत के बिना इतने पैमाने पर अवैध बिक्री संभव ही नहीं है। इससे साफ झलकता है कि दीवाली के नाम पर करोड़ों रुपये का यह खेल अंदरखाने कहीं न कहीं सियासी ताकतों की मर्जी से चल रहा है।
सुरक्षा मानकों की अनदेखी से खतरा बढ़ा
पटाखा बाजार में दुकानों के बीच न तो निर्धारित दूरी रखी गई है और न ही फायर ब्रिगेड या मेडिकल सहायता की कोई व्यवस्था है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बाजार में ज्वलनशील पदार्थ के बीच किसी भी वक्त आग लगने का खतरा बना हुआ है, लेकिन प्रशासन पूरी तरह से अनजान बना हुआ है। नागरिकों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि जिलाधिकारी तत्काल जांच कर अवैध दुकानों को बंद करें।
अधिकारी बोले - जांच करेंगे, पर फोन पर टालमटोल
जब इस मामले में डीसी कपूरथला और एडीसी-जनरल से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो दोनों अधिकारियों ने फोन पर कोई स्पष्ट जवाब देने से परहेज किया। प्रशासन की यह चुप्पी आम जनता के बीच और भी संदेह पैदा कर रही है। लोगों का कहना है कि जब खुद अधिकारी जवाब देने से कन्नी काट रहे हैं, तब यह साफ संकेत है कि कहीं न कहीं इस करोड़ों के कारोबार में 'दाल में कुछ काला' जरूर है।