16 महीने का 981 किलो का ‘लाडू भैंसा’ बना टोडपुरा पशु मेले का चमकता सितारा

Rajasthan News: नवलगढ़ विधानसभा क्षेत्र के टोडपुरा गांव में बुधवार को 20वां भैरूं बाबा अश्व-ऊंट मेला और शेखावाटी हॉर्स शो 2025 का विधिवत शुभारंभ हुआ।
अतिथियों की मौजूदगी और शाही अंदाज में हुआ उद्घाटन
घोड़े-घोड़ियों की शानदार प्रतियोगिता
उद्घाटन के बाद पंजाब नस्ल के सफेद घोड़े और घोड़ियों के बीच प्रतियोगिता का आयोजन हुआ।
125 अश्वों ने दिखाई अपनी अदाएं, दर्शक हुए मंत्रमुग्ध
इस प्रतियोगिता में 125 से अधिक अश्वों ने भाग लेकर अपनी अनोखी चाल, शान और अदाओं से दर्शकों का दिल जीत लिया। आयोजक अनिल चौधरी के अनुसार गुरुवार को मारवाड़ी नस्ल के करीब 250 घोड़े-घोड़ी हिस्सा लेंगे, जिससे मेले का आकर्षण और बढ़ जाएगा।
विभिन्न राज्यों से पहुंचे पशुपालक
मेले में राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के पशुपालक पहुंचे।
ऊंट, भैंसे और अन्य पालतू पशुओं की भी रही खास प्रस्तुति
मेला समिति के विष्णु स्वामी फौजी ने बताया कि घोड़ों के अलावा ऊंट और भैंसे भी इस बार का मुख्य आकर्षण हैं। विजेता पशुओं के मालिकों को नकद व अन्य आकर्षक पुरस्कार दिए जाएंगे।
जजिंग प्रक्रिया और जांच
हॉर्स शो में जज की भूमिका बीकानेर अश्व अनुसंधान केंद्र के डॉ. रमेश दादर, जोधपुर के गिनीज रिकॉर्ड होल्डर गौरव जोशी और जयपुर के अश्व प्रजनन विशेषज्ञ विकास भालोठिया ने निभाई।
8 स्तर की जांच के बाद तय होती है रैंकिंग
हर घोड़े-घोड़ी को रिंग में प्रवेश से पहले आनुवांशिक बीमारी की जांच से गुजरना होता है। इसके बाद कान, चेहरा, सिर, गर्दन, पीठ, पूंछ, टांग और चाल जैसी 8 श्रेणियों के आधार पर अंक दिए जाते हैं। इन्हीं अंकों के आधार पर प्रतियोगिता में स्थान तय होता है।
लाडू भैंसा बना मेले का स्टार
बेरी पशु मेले में सिंघम भैंसा आकर्षण का केंद्र रहा था, वहीं इस बार टोडपुरा मेले में ‘लाडू भैंसा’ सबसे बड़ी पहचान बन गया।
16 महीने की उम्र, 981 किलो वजन और शानदार कद-काठी
हरियाणा के चरखी दादरी जिले के पशुपालक नरेंद्र श्योराण अपने 16 महीने के ‘लाडू भैंसा’ को लेकर मेले में पहुंचे। लाडू, जोधपुर के प्रसिद्ध भैंसे ‘भीम’ का बेटा है। उसकी ऊंचाई 4 फीट 10 इंच, लंबाई 10 फीट और वजन 981 किलो है। उसका कद-काठी किसी भी वयस्क भैंसे से कम नहीं है। यही कारण है कि मेले में आने वाले हर व्यक्ति की नजरें ‘लाडू भैंसा’ पर टिकी रहीं।
दर्शकों और पशुपालकों का उत्साह
मेले के आयोजक और पशुपालक इस बार की प्रतियोगिता को लेकर बेहद उत्साहित नजर आए।
सांस्कृतिक धरोहर और परंपरा का मिला संगम
मेले में जहां पशुओं की नुमाइश और प्रतियोगिताएं दर्शकों को आकर्षित कर रही हैं, वहीं राजस्थान की संस्कृति और परंपरा का भी भव्य प्रदर्शन देखने को मिला।