सुप्रीम कोर्ट का राजस्थान सरकार को बड़ा तोहफा! जयपुर की दो मेगा परियोजनाओं पर नहीं लगेगी रोक, जनहित याचिका खारिज

Rajasthan Projects News: राजस्थान में विकास की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही दो बड़ी परियोजनाओं पर अब कोई अड़चन नहीं रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राजस्थान सरकार को बड़ी राहत देते हुए वह जनहित याचिका खारिज कर दी, जिसमें जयपुर के सांगानेर तहसील स्थित डोल का बाड़ इलाके की भूमि को वन क्षेत्र घोषित करने और परियोजनाओं को रोकने की मांग की गई थी। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने आज T.N. Godavarman vs Union of India मामले में यह फैसला सुनाया।
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सरकार ने साक्ष्यों के साथ कोर्ट को दी जानकारी
राजस्थान राज्य सरकार और RIICO (रीको) ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि यह भूमि वर्ष 1979 में अधिग्रहित की गई थी और तब से इसे लगातार औद्योगिक क्षेत्र के रूप में ही उपयोग किया जा रहा है। साथ ही कोर्ट को यह भी अवगत कराया गया कि इस भूमि को 1991, 2011 और 2025 के मास्टर प्लान में स्पष्ट रूप से “Industrial Zone” दर्शाया गया है। इसलिए इसे वन क्षेत्र कहना तथ्यों के विपरीत है।
याचिकाकर्ताओं पर पहले भी कार्रवाई हो चुकी
राज्य की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा पहले भी कई कोर्ट और मंचों पर इसी विषय में याचिकाएं दायर की जा चुकी थीं। ऐसी ही याचिकाएं National Green Tribunal (NGT) और Rajasthan High Court में भी दायर हुई थीं जिन्हें पहले ही खारिज कर दिया गया था। विशेष रूप से राजस्थान हाईकोर्ट ने तथ्यों को छिपाने के लिए याचिकाकर्ताओं पर ₹1 लाख का जुर्माना भी लगाया था।
पर्यावरण संतुलन को लेकर दी गई सफाई
राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह भी स्पष्ट किया कि परियोजना स्थल पर किसी पेड़ की अवैध कटाई नहीं की गई। मात्र 56 पेड़ों को विधिवत अनुमति लेकर प्रत्यारोपित किया गया, और उसकी जगह प्रतिपूरक रूप से 10 गुना अधिक - यानी 560 से अधिक नए पौधे लगाए गए हैं। सरकार ने कहा कि ये परियोजनाएं पर्यावरणीय संतुलन के साथ विकास का नया मॉडल प्रस्तुत करेंगी।