दान नहीं, रोजगार दो! अकाल की मार से जन्मी महाराजा उम्मेद सिंह की अद्भुत रचना, आज 22,400 करोड़ का भवन पैलेस

Rajasthan News: राजस्थान के जोधपुर में स्थित चित्तर पहाड़ी के ऊपर खड़ा उम्मेद भवन पैलेस सिर्फ एक महल नहीं, बल्कि ‘सेवा से समृद्धि’ की अनोखी मिसाल है। 1920 के दशक में जब मारवाड़ भीषण अकाल की चपेट में था, तब महाराजा उम्मेद सिंह ने जनता को राहत देने के लिए इस भव्य महल का निर्माण शुरू कराया। इस पहल का मकसद सत्ता प्रदर्शन नहीं बल्कि रोज़गार सृजन था, ताकि लोगों को भूख से राहत मिले और जीवन में फिर उम्मीद लौटे।
सूखे में उठी आवाज़ - “हमें दान नहीं, रोजगार दो”

संगमरमर और बलुआ पत्थर से तराशी उम्मीद की कला
पुराने जोधपुर की चित्तर पहाड़ी पर बना यह भवन पीले बलुआ पत्थर से निर्मित है। ब्रिटिश आर्किटेक्ट हेनरी वॉन लैन्सेस्टेर ने इसे डिजाइन किया था। यह भवन आधुनिक 'आर्ट डेको' और ‘इंडो-कोलोनियल’ शैली का अद्भुत संगम है। 1943 में तैयार हुआ यह विशाल पैलेस 347 कमरों, भव्य हॉलों और संगमरमर की फर्शों वाला भारत का सबसे बड़ा निजी आवास बन गया।
महाराजा की दूरदृष्टि - शाही वैभव से जनहित तक का सफर
1970 के दशक में महाराजा गज सिंह ने इस ऐतिहासिक भवन से जुड़ा एक बड़ा फैसला लिया। उन्होंने उम्मेद भवन के एक हिस्से को जनता के लिए खोल दिया और उसे एक होटल में बदलने की अनुमति दी। उनका उद्देश्य था कि इस भवन को संभालते हुए इसे जीवित रखा जाए और आने वाली पीढ़ियां इसकी भव्यता का अनुभव कर सकें। यह निर्णय राजस्थान की विरासत संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक कदम बन गया।
ताज समूह ने दी उम्मेद भवन को नई पहचान
इसके बाद ताज समूह ने इस महल के होटल विंग का संचालन संभाला। उन्होंने ‘आर्ट डेको इंटीरियर्स’ को वैसा ही बनाए रखा जैसा वह 1940 के दशक में था। आज इस होटल में आने वाले मेहमान वही शाही अनुभव प्राप्त करते हैं, जो कभी केवल जोधपुर के राजघरानों के लिए आरक्षित था — संगमरमर के गलियारों में टहलना, क्रिस्टल झूमरों के नीचे भोजन करना और बलुआ पत्थर की चमक में राजस्थान की रॉयल संस्कृति को महसूस करना।
एक धरोहर के तीन रंग - शाही जीवन, कला और आदरातिथ्य
वर्तमान में 22,400 करोड़ रुपये मूल्य वाला उम्मेद भवन पैलेस तीन हिस्सों में बंटा है — शाही परिवार का निजी आवास, ताज होटल द्वारा संचालित होटल सेक्शन, और एक भव्य संग्रहालय जिसमें जोधपुर के राजसी अतीत की झलक मिलती है। यहां प्रदर्शित रेट्रो कारें, प्राचीन तस्वीरें और विरासत की वस्तुएं इतिहास को जीवित रखती हैं।
जोधपुर का गौरव और मानवता की मिसाल
उम्मेद भवन केवल राजस्थान की शाही कहानी नहीं, बल्कि यह उस शासक की दया, दूरदृष्टि और जिम्मेदारी का प्रतीक है जिसने संकट को अवसर में बदला। महाराजा उम्मेद सिंह का यह संदेश आज भी प्रासंगिक है - “राजा का असली धर्म जनता की सेवा है।” यही कारण है कि उम्मेद भवन सिर्फ एक ‘पैलेस’ नहीं, बल्कि ‘उम्मीद की प्रतीक शिला’ बन चुका है।
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