पत्नी की मौत के बाद अंधेरे में डूबी दरिंदगी: देहरादून में पिता ने 13 वर्षीय बेटी से तीन साल तक किया रेप, अदालत ने सुनाई 20 साल की कठोर सजा
Uttarakhand News: देहरादून की पोक्सो विशेष अदालत ने एक हैवान पिता को उसकी 13 वर्षीय नाबालिग बेटी से बलात्कार के अपराध में बीस वर्ष की कठोर सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश अर्चना सागर की अदालत ने दोषी पर 15 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि अर्थदंड नहीं दिया गया, तो दोषी को एक माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
पीड़िता को मिला राहत का सहारा
मासूम की पीड़ा ने खोला दरिंदगी का राज
राज्य की ओर से विशेष लोक अभियोजन अल्पना थापा ने बताया कि यह शर्मनाक प्रकरण 09 जून 2024 को उजागर हुआ, जब पीड़िता की मौसी ने पटेलनगर कोतवाली में तहरीर दी। मुकदमे के अनुसार, 13 वर्षीय बच्ची अपनी मां के निधन के बाद पिता के साथ रह रही थी। 06 जून 2024 को बच्ची ने रोते हुए अपनी मौसी को बताया कि उसका पिता पिछले तीन साल से उसके साथ दुष्कर्म कर रहा है और उसे धमकी देता है कि यदि किसी को बताया तो जान से मार देगा।
बच्चा पैदा करने’ की घृणित मांग
पीड़िता की शिकायत के अनुसार, आरोपी पिता उससे जबरदस्ती करता था और कहता था कि वह अपनी ही बेटी से एक बच्चा पैदा करेगा। यह सुनकर मौसी के होश उड़ गए और उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने 09 जून को मामला दर्ज कर 11 जून 2024 को आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
बचपन में टूटी मासूमियत
मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए गए बयान में पीड़िता ने कहा कि उसके पिता ने उसे तीसरी कक्षा के बाद स्कूल जाने से रोक दिया था। मां के निधन के बाद पिता लखीमपुर खीरी में उसे अकेले रखते थे जबकि उसका भाई बुआ के पास चला गया। पिता शराब के नशे में कपड़े फाड़कर उससे दुष्कर्म करते थे और धमकी देते थे कि अगर किसी को बताया तो जान से मार देंगे।
देहरादून में जारी रहा अपराध का सिलसिला
करीब दो साल पहले वह अपनी बेटी को लेकर देहरादून आ गया और पटेलनगर क्षेत्र में रहने लगा। यहां भी उसने वही घिनौना कृत्य जारी रखा। अभियोजन पक्ष ने मामले में सात गवाह पेश किए जिन्होंने पिता की दरिंदगी को अदालत के सामने साबित कर दिया।
सच्चाई के सामने झूठ की हार
ट्रायल के दौरान आरोपी ने खुद को झूठा फंसाए जाने का दावा किया, लेकिन साक्ष्यों और गवाहों के बयानों ने उसकी दरिंदगी पर से पर्दा हटा दिया। अदालत ने कहा कि यह अपराध केवल बेटी के साथ नहीं, बल्कि संपूर्ण समाज की आत्मा के खिलाफ है। इसलिए इस मामले में कठोर सजा ही न्याय का उचित मार्ग है।
