मां शारदा की कृपा से मिलता है विद्या, सम्मान और सफलता का आशीर्वाद

आज नवरात्र की अष्टमी है। कन्या पूजन का विशेष दिन। भारतीय संस्कृति में शक्ति की विभिन्न रूपों में मान्यता है। नवरात्रों में इनके सभी रूपों में पूजा की जा रही है। मां शारदा सरस्वती को ज्ञान-विज्ञान विद्या बुद्धि देवी के रूप में कल्पना की गई है। इसी भावना से हम मां सरस्वती की आराधना करते हैं कि वह हमें विद्या बुद्धि प्रदान करे, जिसके द्वारा हम ज्ञान-विज्ञान के भंडार से परिपूर्ण हो। मां सरस्वती की पूजा वासंत नवरात्र में भी की जाती है और शारदीय नवरात्र में भी की जाती है। उसकी पूजा अर्चना करने से मान-सम्मान बढता है और जीवन में सफलता भी मिलती है। पूजा से तात्पर्य है कि हम अपनी बुद्धि को सत्कर्मों में लगाये और ज्ञान वृद्धि के लिए सत्य विद्या प्राप्त करें। साधकों के लिए गायत्री महाशक्ति का सरस्वती तत्व अधिक हितकर होता है। बौद्धिक क्षमता विकसित करने, चित्त की चंचलता दूर कर स्थायित्व एवं स्थिरता प्राप्त करने के लिए सरस्वती साधना की विशेष उपयोगिता है। मात्र मां सरस्वती की आरती उतारने से आपका उद्देश्य पूरा नहीं हो पायेगा। उसके लिए तो सतत प्रयत्नशील रहना होगा। स्मरण योग्य यह है कि मां सरस्वती की कृपा भी ऐसे ही साधको पर होती है, जो जिज्ञासु होते हैं। मां शारदा सरस्वती लेखनी और वाणी पर जिस पर भी कृपालु हो जाये उसका नाम संसार में होता है। उसे सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। धर्म प्रवक्ताओं और प्रवचन कारो के विषय में इसीलिए कहा जाता है कि मां सरस्वती इनके कंठ में विराजमान हैं।