चेहरे की खूबसूरती पर भारी पड़ रही है डबल चिन, जानें योग से कैसे पा सकते हैं छुटकारा

नई दिल्ली। आजकल ज्यादातर लोग अपने बढ़ते वजन के साथ-साथ डबल चिन की समस्या से भी काफी परेशान हैं। यह न सिर्फ आपकी खूबसूरती पर असर डालती है, बल्कि यह आपकी सेहत और लाइफस्टाइल का भी आइना होती है। बदलती जीवनशैली, लगातार एक ही पोजिशन में बैठना, मोटापा और बढ़ती उम्र… ये सभी डबल चिन […]
नई दिल्ली। आजकल ज्यादातर लोग अपने बढ़ते वजन के साथ-साथ डबल चिन की समस्या से भी काफी परेशान हैं। यह न सिर्फ आपकी खूबसूरती पर असर डालती है, बल्कि यह आपकी सेहत और लाइफस्टाइल का भी आइना होती है। बदलती जीवनशैली, लगातार एक ही पोजिशन में बैठना, मोटापा और बढ़ती उम्र… ये सभी डबल चिन के बड़े कारण बनते जा रहे हैं।
लेकिन एक अच्छी बात ये है कि अगर आप थोड़ी मेहनत करें और नियमित रूप से कुछ खास योगासन अपनाएं, तो इस समस्या से आसानी से निजात पा सकते हैं। सिंहासन: सिंहासन को चेहरे के लिए सबसे फायदेमंद योगासन माना जाता है। इस आसन में जब आप मुंह खोलकर जीभ बाहर निकालते हैं, तो चेहरे, जबड़े और गले की मांसपेशियों में गहरा खिंचाव आता है। यह खिंचाव डबल चिन के नीचे जमे फैट को तोड़ने में मदद करता है।
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साथ ही, इस अभ्यास से गले के आसपास का ब्लड सर्कुलेशन तेज होता है, जिससे उस हिस्से की कोशिकाएं ज्यादा एक्टिव होती हैं और चर्बी पिघलने लगती है। नियमित अभ्यास से यह न सिर्फ डबल चिन को घटाता है, बल्कि पूरे चेहरे को टोन करने में भी सहायक होता है। उष्ट्रासन: उष्ट्रासन में शरीर की मुद्रा ऊंट के जैसी होती है, जिसमें शरीर को पीछे की ओर झुकाया जाता है। यह खासतौर से गले और छाती पर प्रभाव डालता है।
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जब आप पीछे की ओर झुकते हैं और गर्दन को ढीला छोड़ते हैं, तब ठुड्डी और गले में जो खिंचाव आता है, वह उस हिस्से की चर्बी को घटाने में बेहद कारगर होता है। यह आसन थायरॉयड ग्रंथि को भी सक्रिय करता है, जिससे मेटाबॉलिज्म तेज होता है और फैट बर्न होने लगता है। जालंधर बंध: यह हठ योग की एक क्रिया है। इस क्रिया को करते हुए जब आप ठुड्डी को छाती से मिलाते हैं और सांस को कुछ देर तक रोके रहते हैं, तब गले के नीचे की मांसपेशियों पर दबाव बनता है। यह दबाव वहां की मांसपेशियों को मजबूत करता है और चर्बी को गलाने का काम करता है।
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यह एक तरह से ठुड्डी की एक्सरसाइज होती है, जो डबल चिन को कम करने में मदद करती है। सर्वांगासन: सर्वांगासन को योग का राजा माना जाता है। इसमें शरीर को उल्टा किया जाता है और पूरा भार कंधों पर होता है। इस आसन में ठुड्डी को छाती से सटाकर रखा जाता है, जिससे गले की मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है। साथ ही, यह आसन थायरॉयड ग्रंथि को उत्तेजित करता है, जिससे हार्मोन बैलेंस होते हैं और वजन तेजी से नियंत्रित होता है।
जब वजन घटता है, तो उसका सीधा असर चेहरे और ठुड्डी पर भी पड़ता है। मत्स्यासन: मत्स्यासन में शरीर की स्थिति एक मछली जैसी बनती है, जिसमें छाती ऊपर और सिर पीछे होता है। इस स्थिति में गले और ठुड्डी के आसपास की मांसपेशियां पूरी तरह फैलती हैं। यह फैलाव डबल चिन के नीचे जमी चर्बी को गलाने में सहायक होता है। इसके अलावा, यह आसन थायरॉयड ग्रंथि को भी उत्तेजित करता है, जिससे पूरे शरीर की चयापचय क्रिया बेहतर होती है।
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