शामली कलेक्ट्रेट में AIMIM का प्रदर्शन; पार्टी पदाधिकारियों का दावा- 'यूपी में न्याय का दूसरा नाम लाठी और बुलडोजर बन गया है'

शामली। उत्तर प्रदेश में मुस्लिम समाज पर कथित उत्पीड़न के विरोध में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) पार्टी के दर्जनों पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने सोमवार को शामली कलेक्ट्रेट पहुँचकर राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा।
AIMIM पदाधिकारियों ने ज्ञापन में आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश में शासन और प्रशासन द्वारा मुस्लिम समाज पर जुल्मों सितम किए जा रहे हैं। उनका कहना है कि देश एक लोकतांत्रिक गणराज्य है, जहाँ सभी नागरिकों को सम्मान से जीने का मौलिक अधिकार प्राप्त है, लेकिन उत्तर प्रदेश में ऐसा प्रतीत होता है कि न्याय का दूसरा नाम ही लाठी और बुलडोजर बन गया है।
पार्टी कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि 2014 से भाजपा सरकार के आने के बाद से धार्मिक उन्माद फैलाया जा रहा है और नागरिकों के बीच भेदभाव की गहरी खाई खोदी जा रही है, जिसका सबसे स्पष्ट उदाहरण 2017 के बाद उत्तर प्रदेश में देखा जा सकता है।
ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि बीते 8 वर्षों से यूपी में धर्म के नाम पर राजनीति हो रही है। दाढ़ी, टोपी, मंदिर-मस्जिद, लव जिहाद के नाम पर तथाकथित हिंदू संगठनों द्वारा नफरत फैलाने के उद्देश्य से मॉब लिंचिंग की जा रही है।
इसके साथ ही, प्रशासन पर निर्दोष नाबालिगों, महिलाओं और बुजुर्गों पर अत्याचार करने, फर्जी एफआईआर करवाकर निर्दोष लोगों को घरों से खींचकर थानों में प्रताड़ित करने का भी आरोप लगाया गया है।
AIMIM के पदाधिकारियों ने ज्ञापन में बरेली में हुई हिंसक घटना के बाद मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए एक बयान की भी घोर निंदा की और उसे असंवैधानिक बताया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के द्वारा इस तरह का बयान दिया जाना बेहद अशोभनीय है।
पार्टी पदाधिकारियों ने देश के राष्ट्रपति से मांग की है कि उत्तर प्रदेश में मुस्लिम समाज के सम्मान से जीने के मौलिक अधिकार को यथावत बनाए रखा जाए।