एसडीएम शामली के रवैये पर भड़के किसान, कलेक्ट्रेट पर दिया धरना — माफी के बाद खत्म हुआ विवाद
शामली। गन्ना मूल्य वृद्धि और बकाया भुगतान सहित 9 सूत्रीय मांगों को लेकर गुरुवार दोपहर किसान मजदूर संगठन (ठाकुर पूरन सिंह) के कार्यकर्ता जिलाध्यक्ष ठाकुर लाखन सिंह के नेतृत्व में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित ज्ञापन सौंपने कलेक्ट्रेट पहुंचे। लेकिन एसडीएम शामली अर्चना शर्मा की गैर-जिम्मेदाराना कार्यशैली ने मामला बिगाड़ दिया।
कार्यकर्ताओं का कहना था कि वे शांतिपूर्वक ज्ञापन सौंपने आए थे, लेकिन एसडीएम का यह रवैया किसानों के प्रति घोर असंवेदनशीलता दर्शाता है। जिलाध्यक्ष ठाकुर लाखन सिंह ने आरोप लगाया कि एसडीएम की यह हरकत न केवल प्रशासनिक शिष्टाचार का उल्लंघन है, बल्कि जनता की आवाज को दबाने का प्रयास भी। “हमारी मांगें गन्ना किसानों के हित से जुड़ी हैं। 500 रुपये प्रति कुंतल गन्ना मूल्य, मिल शुरू होने से पूर्व बकाया भुगतान, स्मार्ट मीटर न लगाना जैसी 9 मांगें मुख्यमंत्री तक पहुंचानी थीं, लेकिन एसडीएम ने हमें अपमानित किया,” उन्होंने कहा।
धरने की घोषणा के साथ ही किसान कलेक्ट्रेट परिसर में डट गए और जिला स्तरीय अधिकारियों को घटना से अवगत कराया। एसडीएम न्यायिक हामिद हुसैन मौके पर पहुंचे और किसानों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन कार्यकर्ता एसडीएम शामली से सार्वजनिक माफी की मांग पर अड़े रहे।
काफी देर तक चले गतिरोध के बाद एसडीएम अर्चना शर्मा कलेक्ट्रेट के बाहर गाड़ी खड़ी कर पैदल धरना स्थल पर पहुंचीं। उन्होंने किसानों से कहा, “मैंने जानबूझकर ऐसा नहीं किया। मैं आपकी बेटी और बहन हूं।”
अधिकारियों की लंबी मान-मनौव्वल के बाद किसान धरना समाप्त करने पर राजी हुए। ज्ञापन अंततः स्वीकार कर लिया गया। हालांकि, यह घटना प्रशासनिक जवाबदेही पर गहरी चोट व जनसुनवाई को कमजोर करती है और जनता में अविश्वास पैदा करती है। जिले में पहले भी एसडीएम स्तर पर शिकायतों के निस्तारण में देरी की शिकायतें सामने आती रही हैं, जिससे आम आदमी की पहुंच अधिकारियों तक सीमित हो जाती है।
