इस दौरान मौके पर मौजूद बुजुर्ग महिलाओं ने चेतावनी दी कि अगर उनकी समस्याओं का जल्द समाधान नहीं हुआ तो वे आत्महत्या करने को मजबूर होंगी।
गांव की महिला शशि ने बताया कि उनकी जमीन काली सड़क पर थी, जिसकी कीमत ज्यादा थी। लेकिन चकबंदी अधिकारियों ने हवाई चक काटकर उनकी जमीन बाग में दे दी, जिसकी कीमत बहुत कम है। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों के दफ्तर में किसी की सुनवाई नहीं होती।
वहीं, एक अन्य महिला शारदा ने कहा कि उनकी 11 बीघा जमीन थी, लेकिन चकबंदी के बाद मात्र छह बीघा जमीन रेतीले इलाके में दे दी गई। उन्होंने बताया कि उनकी जमीन पहले मोलाहेड़ी वाले रास्ते पर थी, लेकिन अब दूर और बंजर इलाके में शिफ्ट कर दी गई है।
ग्रामीण सुशील पांचाल ने भी चकबंदी अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि गांव के छोटे किसानों की जमीनें काली सड़क से हटाकर रेतीले या बाग क्षेत्रों में दे दी गई हैं। कहीं एक ही जमीन दो-दो लोगों को दे दी गई है। उन्होंने कहा कि जब चकबंदी सीओ ने कानूनगों को नपाई-तुलाई रोकने का आदेश दिया, तो उन्होंने आदेश मानने से इनकार कर दिया।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि अगर भ्रष्टाचार और अन्याय का यह सिलसिला नहीं रुका, तो कई वृद्ध किसान कार्यालय के बाहर ही आत्महत्या करने को मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि इस स्थिति की पूरी जिम्मेदारी चकबंदी सीओ और डीएम की होगी।
