समीर वानखेड़े की याचिका को रेड चिलीज ने बताया निराधार, कहा- सीरीज में न नाम, न चेहरा, सिर्फ व्यंग्य और कल्पना
Red Chillies Response: शाहरुख खान और गौरी खान के स्वामित्व वाली रेड चिलीज एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने समीर वानखेड़े की याचिका के जवाब में विस्तृत प्रतिक्रिया दाखिल की है।
एनसीबी के पूर्व जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े ने हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर दावा किया था कि शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान पर बनी वेब सीरीज ‘द बैड्स ऑफ बॉलीवुड’ उनकी छवि को नुकसान पहुंचाती है। इस पर रेड चिलीज ने दो टूक कहा है कि यह दावा पूरी तरह गलत और निराधार है। कंपनी का कहना है कि शो में वानखेड़े का न तो नाम लिया गया है और न ही किसी प्रकार से उनका सीधा या परोक्ष चित्रण किया गया है।
सिचुएशनल सटायर बताया गया शो
कंपनी ने यह भी दलील दी कि दिल्ली हाईकोर्ट का इस मामले पर कोई क्षेत्राधिकार नहीं है क्योंकि वानखेड़े और नेटफ्लिक्स दोनों ही मुंबई स्थित हैं। रेड चिलीज ने कहा कि शिकायत में बाद में किए गए संशोधन भी वैधानिक रूप से टिकाऊ नहीं हैं।
वानखेड़े के ‘बेदाग रिकॉर्ड’ पर उठाए सवाल
प्रोडक्शन हाउस ने वानखेड़े द्वारा किए गए "बेदाग छवि" के दावे को भी चुनौती दी है। अपने जवाब में रेड चिलीज ने CBI की 2023 में दर्ज एफआईआर का हवाला देते हुए कहा कि वानखेड़े के खिलाफ जबरन वसूली और भ्रष्टाचार से जुड़ी जांच चल रही है। कंपनी ने तर्क दिया कि सीरीज रिलीज़ होने से पहले ही वानखेड़े का नाम सार्वजनिक चर्चाओं और मीम्स में आ चुका था, इसलिए इस शो को मानहानि की वजह नहीं माना जा सकता।
सिर्फ 1 मिनट 48 सेकंड का दृश्य, कोई व्यक्तिगत अपमान नहीं
रेड चिलीज ने वानखेड़े द्वारा आपत्ति जताए गए सीन को “सिर्फ एक मिनट और 48 सेकंड लंबा” बताया। कंपनी ने कहा कि वह दृश्य केवल एक ‘अति-उत्साही अधिकारी’ को दिखाता है और किसी वास्तविक व्यक्ति का अपमान नहीं करता। यह किरदार पूरी तरह काल्पनिक है और व्यंग्य की शैली में प्रस्तुत किया गया है। इस सीन को हटाने से पूरी कहानी की संरचना और संदेश पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
व्यंग्य का उद्देश्य आलोचना, न कि अपमान
रेड चिलीज ने अपने लिखित जवाब में कहा कि सटायर या व्यंग्य सामाजिक आलोचना का माध्यम है, जिसका उद्देश्य किसी की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना नहीं होता। उन्होंने कहा कि क्या कोई टिप्पणी व्यंग्यात्मक है या दुर्भावनापूर्ण यह केवल मुकदमे की कार्यवाही में तय किया जा सकता है।
कंपनी ने आगे यह भी कहा कि पब्लिक ऑफिस होल्डर होने के नाते वानखेड़े को जन-चर्चा और आलोचना का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। ऐसे व्यक्ति जो कभी जांच के घेरे में रहे हों, उन्हें आलोचना से विशेष छूट नहीं मिल सकती।
क्रिएटिव लिबर्टी पर रोक खतरनाक मिसाल होगी
रेड चिलीज ने अदालत से आग्रह किया कि इस तरह की याचिकाएं क्रिएटिव फ्रीडम और सटायर के अधिकार को सीमित करती हैं। कंपनी का कहना है कि यदि इस तरह के मुकदमों को स्वीकार किया गया, तो यह भविष्य में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर खतरनाक मिसाल बन सकता है। उन्होंने कहा कि यदि वानखेड़े को किसी प्रकार की व्यक्तिगत हानि महसूस होती है, तो उसकी भरपाई हर्जाने के रूप में की जा सकती है, परंतु रचनात्मक कार्यों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए।
10 नवंबर को अगली सुनवाई तय
इस पूरे विवाद पर अगली सुनवाई 10 नवंबर को दिल्ली हाईकोर्ट में होगी। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव करेंगे। पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने नेटफ्लिक्स, रेड चिलीज और अन्य पक्षों को नोटिस जारी किया था। वानखेड़े ने अपनी याचिका में स्थायी प्रतिबंध और 2 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की थी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत रेड चिलीज के तर्कों को कितना महत्व देती है।
