मुजफ्फरनगर में समाजवादी पार्टी की चौपाल को पुलिस ने रोका, राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार भाटी और पुलिस के बीच हुई तीखी नोकझोंक
मुजफ्फरनगर। ग्राम ककरौली स्थित एक बैंकट हॉल में समाजवादी पार्टी द्वारा आयोजित की जा रही “पी डी ए चौपाल” सभा को पुलिस प्रशासन ने अनुमति न होने के कारण रोक दिया। इस दौरान मौके पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार भाटी और पुलिस अधिकारियों के बीच तीखी बहस देखने को मिली।
कार्यक्रम में पूर्व विधायक, जिला अध्यक्ष, विधानसभा अध्यक्ष समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे।
जानकारी के अनुसार, कुंवर देवेंद्र सिंह द्वारा 30 अक्टूबर को ग्राम ककरौली के प्रधान बैंकट हॉल में समाजवादी पार्टी की “पी डी ए चौपाल” का आयोजन सुनिश्चित किया गया था। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार भाटी को आमंत्रित किया गया था। इसके साथ ही कार्यक्रम में पूर्व विधायक योगेश वर्मा, जिला अध्यक्ष जिया चौधरी, अब्दुल्ला राणा, विधानसभा अध्यक्ष सादिक चौहान, हाजी मूसा, प्रदेश सचिव विनय पाल, सतीश गुर्जर, वीरेंद्र नगर और शमीम अहमद सहित अन्य नेता भी शामिल थे।
जैसे ही चौपाल का आयोजन शुरू हुआ, पुलिस टीम मौके पर पहुंच गई और आयोजकों से कार्यक्रम की अनुमति पत्र (परमिशन) दिखाने की मांग की। आयोजक जब अनुमति की कोई लिखित प्रति नहीं दिखा सके तो पुलिस ने कार्यक्रम रोकने के निर्देश दे दिए।
इसी दौरान समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार भाटी नाराज हो गए और मौके पर मौजूद पुलिस उपनिरीक्षक नरेंद्र कुमार से उनकी बहस शुरू हो गई ।
राजकुमार भाटी ने पुलिस से सवाल किया कि वे किस अधिकार से उनके कार्यक्रम में हस्तक्षेप कर रहे हैं और किस अनुच्छेद के तहत चौपाल आयोजित करने से रोका जा रहा है। उन्होंने कहा कि “आपके पास जो वर्दी है, वह भारतीय संविधान के तहत है और आपकी सैलरी हमारे टैक्स से दी जाती है। ऐसे में जनता के कार्यक्रम में रोक लगाना पूरी तरह से लोकतंत्र का अपमान है।”
भाटी ने आगे कहा कि चौपाल एक निजी बैंकट हॉल की चारदीवारी के अंदर आयोजित की जा रही थी, जिसके लिए किसी विशेष अनुमति की आवश्यकता नहीं होती। उन्होंने दावा किया कि आयोजन की सूचना पहले से प्रशासन को दे दी गई थी, इसके बावजूद कार्यक्रम को रोकना तानाशाही रवैया है।
इसके बाद भाटी ने फोन पर इंस्पेक्टर जोगेंद्र सिंह से भी वार्ता की और पुलिस के इस कदम पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि “हमारे शांतिपूर्ण कार्यक्रम को बाधित करना कानून का उल्लंघन है। अगर इसी तरह से प्रशासन विपक्षी दलों की आवाज दबाएगा, तो यह देश पाकिस्तान जैसा बन जाएगा, जहां केवल सरकार की ही बात मानी जाती है।”
कार्यक्रम रोकने के बाद समाजवादी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में गहरी निराशा और नाराजगी देखने को मिली। उन्होंने भाजपा सरकार और प्रशासन पर विपक्ष की आवाज को दबाने का आरोप लगाया।
नेताओं ने कहा कि समाजवादी पार्टी लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और ऐसे घटनाक्रमों से पीछे हटने वाली नहीं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि विपक्षी दलों के शांतिपूर्ण आयोजनों में इस तरह का दखल जारी रहा, तो पार्टी इसे लेकर बड़े आंदोलन की राह अपनाएगी।
ककरौली में हुई इस घटना ने एक बार फिर प्रशासनिक अनुमति और राजनीतिक कार्यक्रमों की स्वतंत्रता को लेकर नई बहस छेड़ दी है।
