शामली में सीएमओ दफ्तर में रिश्वतखोरी का जाल टूटा, बाबू ₹25 हजार लेते रंगे हाथों गिरफ्तार
शामली। सरकारी दफ्तरों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर करारा प्रहार करते हुए, सहारनपुर एंटी करप्शन थाने की टीम ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) कार्यालय में एक बड़ी कार्रवाई की। टीम ने स्टोरकीपर और चिकित्सा प्रतिपूर्ति पटल पर तैनात बाबू राकेश कुमार को ₹25 हजार की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी सीएमओ कार्यालय के भीतर करीब 11 बजे एक सुनियोजित ट्रैप ऑपरेशन के दौरान की गई।
गिरफ्तारी की जड़ नौकुआ रोड निवासी आशीष कुमार की शिकायत में है। आशीष के पिता, सुरेंद्र कुमार गर्ग, राजस्व विभाग से सेवानिवृत्त थे, जिनका लंबी बीमारी के बाद 13 अगस्त 2025 को निधन हो गया था। परिवार ने दिवंगत पिता के सरकारी मेडिकल क्लेम की राशि प्राप्त करने के लिए सीएमओ कार्यालय में आवेदन किया था।
रिश्वत की मांग और धमकी:
आरोप है कि चिकित्सा प्रतिपूर्ति पटल पर कार्यरत बाबू राकेश कुमार ने क्लेम फाइल को आगे बढ़ाने और पास करने के नाम पर परिवार से बार-बार रिश्वत की मांग की। जब पीड़ित परिवार ने रिश्वत देने से इनकार किया, तो राकेश कुमार ने जानबूझकर फाइल को लटकाना शुरू कर दिया।
एंटी करप्शन टीम का एक्शन:
बाबू की इस जबरन मांग से तंग आकर आशीष कुमार ने सहारनपुर स्थित एंटी करप्शन थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई। शिकायत मिलते ही एंटी करप्शन टीम ने त्वरित कार्रवाई की योजना बनाई और पूरी रणनीति के साथ ट्रैप बिछाया।
ट्रैप के दौरान, शिकायतकर्ता द्वारा चिह्नित नोटों का उपयोग किया गया। जैसे ही राकेश कुमार ने लालचवश रिश्वत की यह राशि स्वीकार की, पहले से मुस्तैद एंटी करप्शन टीम ने सीएमओ कार्यालय के अंदर ही छापा मारकर बाबू को मौके पर धर दबोचा।
आगे की कानूनी कार्रवाई:
गिरफ्तारी के तुरंत बाद, एंटी करप्शन टीम आरोपी राकेश कुमार को लेकर शामली के थाना आदर्श मंडी पहुँची, जहाँ प्राथमिकी दर्ज करने सहित अन्य वैधानिक औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। आरोपी राकेश कुमार मूल रूप से लखनऊ का निवासी है और विगत डेढ़ वर्षों से शामली जनपद में सीएमओ कार्यालय में तैनात था। उसके पास स्टोरकीपर का अतिरिक्त प्रभार भी था।
थाना आदर्श मंडी के प्रभारी निरीक्षक बीनू चौधरी ने मीडिया को बताया कि उनकी टीम एंटी करप्शन टीम का पूर्ण सहयोग कर रही है और दोषी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। इस साहसिक कार्रवाई ने सरकारी कार्यालयों में पारदर्शिता की कमी और भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति को उजागर किया है। मामले की आगे की जांच जारी है।
