उत्तर प्रदेश में हर पांचवें सांसद-विधायक का राजनीतिक परिवार से है संबंध, वंशवाद बढ़ा, लोकतंत्र पर हो रहा असर
कांग्रेस सबसे आगे तो सपा, बीजेपी भी पीछे नहीं, रालोद के भी 14% जनप्रतिनिधि है वंशवादी !

लखनऊ: सामाजिक भागीदारी और सबकी हिस्सेदारी के नारों के बीच उत्तर प्रदेश की राजनीति में वंशवाद तेजी से फल-फूल रहा है। चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाली संस्था असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में यह खुलासा किया है कि उत्तर प्रदेश में सदन की देहरी पर कदम रखने वाले हर पांचवें सांसद या विधायक का संबंध सीधे किसी राजनीतिक परिवार से है।
रिपोर्ट में पार्टीवार आंकड़े भी शामिल हैं। भाजपा के 17 प्रतिशत, कांग्रेस के 32 प्रतिशत, समाजवादी पार्टी के 30 प्रतिशत, राष्ट्रीय लोकदल और सुभासपा के 14 प्रतिशत और निषाद पार्टी के 20 प्रतिशत सांसद या विधायक राजनीतिक परिवारों का हिस्सा हैं।
प्रमुख राजनीतिक परिवारों से जुड़े नेता
उत्तर प्रदेश के सांसदों और विधायकों में कई ऐसे नाम शामिल हैं, जिन्होंने सीधे अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया है। इनमें प्रमुख हैं:
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राहुल गांधी (कांग्रेस) – रायबरेली से सांसद, नेहरू-गांधी परिवार से।
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अखिलेश यादव (सपा) – कन्नौज से सांसद, मुलायम सिंह यादव के पुत्र।
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जयंत चौधरी (राष्ट्रीय लोकदल) – पूर्व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह के पुत्र।
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अनुप्रिया पटेल (अपना दल) – सोनेलाल पटेल की बेटी।
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जितिन प्रसाद (बीजेपी ) – पूर्व केंद्रीय मंत्री।
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आरपीएन सिंह (भा.ज.पा.) – पूर्व केंद्रीय मंत्री के पुत्र।
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नीरज शेखर (भा.ज.पा.) – पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि महिलाओं के लिए सियासत का रास्ता भी बड़े पैमाने पर वंशवाद के जरिए खुला है। देशभर में महिलाओं में राजनीतिक परिवारों से जुड़ाव 47 प्रतिशत है, जबकि पुरुषों में यह केवल 18 प्रतिशत है।
उत्तर प्रदेश में 69 महिला जनप्रतिनिधियों में से 29 (42%) सीधे राजनीतिक परिवारों से हैं। समाजवादी पार्टी में यह आंकड़ा 67 प्रतिशत और अपना दल (सोनेलाल) में 40 प्रतिशत है। भाजपा में महिलाओं का 41 प्रतिशत और कांग्रेस में 53 प्रतिशत हिस्सा राजनीतिक विरासत से जुड़ा है।
लोकतंत्र और वंशवाद
ADR का कहना है कि वंशवाद न केवल राजनीति में योग्यता और प्रतिभा की जगह पर सवाल उठाता है, बल्कि नई और योग्य पीढ़ी के लिए अवसर भी सीमित करता है। रिपोर्ट के अनुसार, वंशवाद राजनीतिक दलों की रणनीति का हिस्सा बन गया है, जिसमें परिवार के बड़े नेता अपनी राजनीतिक पूंजी को सुरक्षित रखने के लिए नए उम्मीदवारों को सीमित करते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस प्रवृत्ति पर नियंत्रण नहीं किया गया तो लोकतंत्र में पारदर्शिता और समान अवसरों की भावना कमजोर पड़ सकती है।
पार्टीवार आंकड़े
पार्टी | वंशवादी सदस्य (%) |
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कांग्रेस | 32% |
समाजवादी पार्टी | 30% |
भाजपा | 17% |
राष्ट्रीय लोकदल | 14% |
सुभासपा | 14% |
निषाद पार्टी | 20% |
उत्तर प्रदेश में वंशवाद की राजनीति लोकतंत्र के लिए चुनौती बन गई है। नई और योग्य प्रतिभाओं को अवसर प्रदान करने और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए चुनाव सुधार और सक्रिय निगरानी की आवश्यकता है।
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